गंदे चादर पर मरीज रहने को विवश, इन्फेकशन व अन्य रोग होने कर डर
अस्पताल प्रबंधन मौन, दो दिन पहले एसडीएम ने कुव्यवस्था पर लगाई थी फटकार
डुमरांव. अनुमंडल अस्पताल के बेड पर लगभग एक मार्च से चादर धुलाई नहीं होने से नहीं बदला रहा है. जिससे अस्पताल की कुव्यवस्था व मनमानी स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहीं है. गंदे चादर पर मरीज रहने को विवश है, जिससे मरीज के नुकसान देह है. एजेंसी के धुलाई करने वाला कर्मी राजाराम ने बताया कि चार माह से वेतन नहीं मिला रहा है, दो दिन पहले सोलह हजार रूपये बैंक एकाउंट में एजेंसी द्वारा भेजा गया है.
लेकिन कर्मी का स्पष्ट कहना है कि जब तक पूरा भुगतान नहीं होता काम बंद रहेगा. इस दरम्यान इस मामले का खुलासा हुआ कि एजेंसी द्वारा तीन कर्मी रहने की बात कहीं जाती है, लेकिन अस्पताल एक कर्मी कार्य करते देखा जाता है. धुलाई करने वाला कर्मी ने कहां कि अगर समय से पेमेंट नहीं मिलेगा तो भूखें पेट थोड़े काम करेगें.
कर्मी द्वारा बताया कि एक मार्च से धुलाई काम बंद कर दिया है, इसके बाद एजेंसी से पूरा पेमेंट करने की बात कहीं. इस पर एजेंसी ने कर्मी का मात्र दो माह का पेमेंट भेजा है. जिससे कर्मी आक्रोशित कर्मी पूरा पेमेंट भेजने पर कार्य शुरू करने की बात कहीं. कर्मी ने इसकी जानकारी अस्पताल प्रबंधन को दे दी है. लगभग 15 दिन से उपर अस्पताल के बेड पर का चादर धुलाई नहीं होने से बदलने का कार्य ठप है.
जिससे बेड पर जैसे तैसे पड़े चादर पर मरीज को रहना पड़ रहा है. इस अस्पताल प्रबंधन मौन है, जिससे कई सवाल खड़े हो रहे है. अस्पताल में पहुंचने वाले मरीज व उनके परिजन गंदे बेड देखकर आक्रोशित हो रहे है, लेकिन विवशता है. चादर पर एक मरीज के जाने के बाद चादर बदलना जरूरी होता है, नही तो दूसरे मरीज को तरह तरह की बिमारी होने की संभावना है. यह अमानवीय कार्य है. मरीज को चर्म रोग के साथ इन्फेकशन होने का डर बना रहता है.
बता दें कि रविवार को आसमानी, सोमवार को नारंगी, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, गुरूवार को पीला, शुक्रवार को बैंगनी, शनिवार को नीला चादर बेड पर डालना है. लेकिन धुलाई बंद होने सोमवार को बेड पर चादर उजला देखने को मिला. बता दें कि ऐसे लापरवाह एजेंसी को ब्लैकलिस्ट में डालने को लेकर अस्पताल प्रबंधन को कब का पत्र अग्रसरित कर देना चाहिए था. लेकिन इस मामले में प्रबंधन मौन है.