बक्सर, 02 जनवरी | शून्य से लेकर पांच वर्ष तक के बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाने के उद्देश्य से जिले में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम निरंतर चलाया जा रहा है। इसको लेकर जिलास्तर से लेकर वार्ड स्तर तक निगरानी की जा रही है। ताकि, कोई भी बच्चा व गर्भवती महिला नियिमत टीकाकरण का लाभ लेने से वंचित न रहे। ऐसे में सरकार ने बच्चों के भविष्य को देखते हुए बड़ी पहल शुरू की है। जिसमें बच्चों को पोलियो से बचाने के लिए फ्रैक्शनल डोजेस ऑफ़ इनएक्टिवेटेड पोलियोवायरस (एफआईपीवी) वैक्सीन की तीसरी खुराग यानी नवजातों को दी जाने वाले वैक्सीन की तीसरी डोज देने का निर्णय लिया है।
जो शिशुओं के नौवें माह के होने पर दी जाएगी। जिसकी शुरुआत साल की पहली तिथि से की जा चुकी है। एक जनवरी के बाद से जिले के सभी बच्चों को एफआईपीवी वैक्सीन की तीन खुराक दी जाएगी। जिन बच्चों को दो खुराक मिली है को 6 सप्ताह पर एफआईपीवी 1 और 14 सप्ताह पर एफआईपीवी -2, उन्हें अब एक जनवरी से 09 महीने के होने पर एमआर-1 के टीके के साथ एफआईपीवी की तीसरी खुराक दी जाएगी। जिन्हें 1 जनवरी से पहले एमआर -1 की खुराक मिल चुकी है उन्हें एफआईपीवी 3 की खुराक नहीं दी जाएगी।
बीमारियों से बचाव के टीके लगाना बच्चों के लिए जरूरी
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राज किशोर सिंह ने बताया कि नवजात के स्वस्थ शरीर निर्माण के लिए उचित देखभाल बेहद जरूरी है। इसे सुनिश्चित करने में सबसे बड़ा योगदान उसकी मां का ही होता है। इसमें थोड़ी सी लापरवाही बड़ी परेशानी का कारण बन जाती है और नवजात बार-बार बीमार होने लगता है। टीकाकरण से बच्चों के शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। जिससे वे विभिन्न प्रकार की बीमारियों से सुरक्षित होते हैं।
बच्चों के नियमित टीकाकरण से वे जल्दी किसी भी बीमारी की चपेट में नहीं आते हैं। उन्होंने बताया कि छह जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए टीके लगाना सभी बच्चों के लिए जरूरी होता है। खसरा, टेटनस, पोलियो, क्षय रोग, गलघोटू, काली खांसी और हेपेटाइटिस-बी जैसे रोगों से बचने के लिए समय पर टीकाकरण जरूरी है। कुछ टीके गर्भवती महिलाओं को भी लगाए जाते हैं। जिससे उन्हें व होने वाले शिशु को टेटनेस व अन्य गंभीर बीमारियों से बचाया जा सके।
बच्चों में हो सकेगी 90 प्रतिशत तक इम्युनिटी बढ़ोत्तरी
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. सिंह ने बताया कि अब तक पोलियो की बीमारी से बचाने के लिए शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को दो डोज लगायी जाती थी। यह डोज बच्चों को छह और 14 सप्ताह में लगाई जा रही थी। लेकिन, अन्य देशों में पोलियो के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को एफआईपीवी वैक्सीन की तीसरी डोज लगाने का निर्णय लिया है। तीसरी डोज के रूप में एफआईपीवी वैक्सीन लगने से बच्चों में 90 प्रतिशत तक इम्युनिटी बढ़ोत्तरी हो सकेगी।
उन्होंने बताया कि तीसरी डोज लगाने के लिए जिले में हैंडकाउंड सर्वे कराया जा रहा है। सर्वे में ऐसे बच्चे चिह्नित किए जाएंगे। एक या दो डोज लगवाने वाले बच्चों को दूसरी, तीसरी डोज के रूप में एफआईपीवी वैक्सीन लगाई जाएगी। जिन बच्चों को एक भी डोज नहीं लगी है और उनकी उम्र एक वर्ष की हो गई है, उनको जनवरी में एफआईपीवी वैक्सीन की पहली डोज लगेगी।