लोक आस्था के छठपर्व के दूसरे दिन भंडारा, अगले दिन होता है मां की विदाई, ठठेरी बाजार में सन 1949 से मां काली की प्रतिमा रखने की शुरू हुई परपंरा
डुमरांव. शुक्रवार की देर रात ठठेरी बाजार स्थित पंडाल पर वैदिक मंत्रोच्चारण व माता के जयघोष के साथ मां काली का पट श्रद्धालूओं के खुल गया. पंडित द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के द्वारा पूजा-अर्चना कराया गया. देर रात शंख ध्वनि से आस-पास का क्षेत्र गुंजयमान रहा.
श्री वीर बालक मां महाकाली पूजा समिति के अध्यक्ष हनुमंत लाल श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष चंदन गुप्ता, सचिव कुंदन रावत व व्यवस्थापक रंजन केशरी, विशेष सदस्य विशाल गुप्ता, सदस्य अमीत, वंश, सुरज, कृष्णाकांत, आयुष्मान राय, चंद्रभानू ने बताया कि मां काली की प्रतिमा स्थापित करने का सिलसिला सन 1949 में प्रारंभ हुआ.
आज पुराने परंपरा व आस्था को युवाओं ने अपनाते हुए मां काली की प्रतिमा प्रत्येक साल की भांति इस बार भी स्थापित की. इस बार के निर्मित पंडाल को बेहतर व आकर्षण ढ़ग से सजाया गया. पट खुलने के बाद शनिवार की अहले सुबह से देर शाम तक श्रद्धालुओं का तांता लग रहा.
समिति सदस्यों ने बताया कि धनतेरस की रात्रि प्रहर मां काली का पट खुलता है. दीपावली व छठ के दूसरे अर्ध पर देर शाम भंडारा किया जाता है. जिसमें सैकड़ों श्रद्धालू प्रसाद ग्रहण करते है. अगले दिन मां की प्रतिमा बक्सर गंगा में विर्सजित की जाती है.
लोक आस्था का महापर्व छठ सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ सम्पन्न हो गया. देर शाम से भंडारा का आयोजन किया गया. जिसमें सैकड़ो श्रद्धालू प्रसाद ग्रहण करेगें.