बक्सरबिहार

महिला बंध्याकरण की अपेक्षा 20 गुना सरल है पुरुष नसबंदी : सीएचओ

एचडब्ल्यूसी नदांव में स्वास्थ्य मेला के अवसर पर परिवार नियोजन की दी गई जानकारी

पुरुष नसबंदी के लिए लाभार्थी को दी जाती है 3000 रुपए की प्रोत्साहन राशि

बक्सर| जिले में जनसंख्या स्थिरीकरण को लेकर परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग तत्पर है। लेकिन, भ्रांतियों और अफवाहों के चक्कर में आकर पुरुष अभी भी परिवार नियोजन के स्थायी साधनों के प्रति उदासीन बने बैठे हैं। जिसे दूर करने के लिए विभाग समय समय पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कराता हैं। जिसमें से एक है स्वास्थ्य संस्थानों पर स्वास्थ्य मेले का आयोजन करना। जिसके तहत गुरुवार को जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वास्थ्य मेले का आयोजन किया गया। सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर एमसीडी के साथ साथ परिवार नियोजन के प्रति जागरूक भी किया गया।

इस क्रम में सदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत नदांव हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर भी लोगों को परिवार नियोजन की जानकारी दी गई। सेंटर की सीएचओ प्रियंका सिंह ने बताया कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग महिलाओं के साथ पुरुषों की भागीदारी बढ़ने पर जोर दे रहा है। साथ ही, दंपतियों को जागरूक करते हुए पुरुषों को नसबंदी के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

ताकि, परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाई जा सके। यहां तक कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों को नसबंदी कराने के लिए दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि भी ज्यादा रखी गई है। नसबंदी के लिए पुरुष लाभार्थी को 3000 रुपए एवं प्रेरक को प्रति लाभार्थी 300 रुपए दिया जाता है। जबकि महिला नसबंदी के लिए लाभार्थी को 2000 रुपए एवं प्रेरक को प्रति लाभार्थी 300 रुपए दिया जाता है।

समुदाय में अभी भी पुरुष नसबंदी से संबंधित जानकारी का अभाव

सीएचओ प्रियंका सिंह ने बताया, पुरुष नसबंदी के बाद किसी भी तरह की शारीरिक या यौन कमजोरी नहीं आती है। यह पूरी तरह सुरक्षित और आसान है। लेकिन अधिकांश पुरुष- अभी भी इसे अपनाने में हिचक रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि कहीं ना कहीं समुदाय में अभी भी पुरुष नसबंदी से संबंधित जानकारी का अभाव है।

उन्होंने बताया कि नसबंदी के प्रति पुरुषों की उदासीनता की सबसे बड़ी वजह इससे जुड़ी भ्रांतियां हैं। लेकिन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, विश्व स्वास्थ्य संगठन, सेंटर फार डिजिज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन जैसे आधिकारिक एजेंसियों के सर्वे और शोध इन अफवाहों और मिथकों का पूरी तरह खंडन करते हैं। उनका कहना है कि पुरुष नसबंदी से ना ही शारीरिक कमजोरी होती है और ना ही पुरुषत्व का क्षय होता है। दंपती जब भी चाहे इसे अपना सकते हैं।

नसबंदी के बाद अस्पताल में रहने की जरूरत नहीं होती

पुरुषों की नसबंदी बिना टांका एवं चीरा एक घंटे के भीतर होता है। नसबंदी के बाद अस्पताल में रहने की जरूरत नहीं होती। पुरुष नसबंदी की तुलना में महिला नसबंदी 20 गुना जटिलता से भरा होता है। पुरुष नसबंदी की तुलना में महिला नसबंदी के फेल होने की संभावना भी 10 गुना अधिक होती है। साथ ही, पुरुष नसबंदी महिला नसबंदी की तुलना में तीन गुना कम महंगा होता है।

उन्होंने बताया कि 16 दिसंबर तक पुरुष नसबंदी पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें योग्य पुरुषों को परिवार नियोजन के प्रति जागरूक करते हुए उन्हें नसबंदी के लिए अस्पताल ले जाया जा रहा है। इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों को ज्यादा से ज्यादा लोगों को परिवार नियोजन के स्थायी साधनों के प्रति जागरूक करने की अपील की। मौके पर आशा कार्यकर्ता उर्मिला देवी के साथ दर्जनों महिलाएं और पुरुष मौजूद रहे।

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