डुमरांव. जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार बदलते परिदृश्य में अध्यापक शिक्षा विषय पर समग्र शिक्षा के तत्वाधान में आयोजित किया गया. आयोजन का उद्घाटन विख्यात अर्थशास्त्री नवल किशोर सिंह चौधरी, पटना कालेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. ललित कुमार, सहायक प्राध्यापक डॉ प्रकाश रंजन, संस्थान के प्राचार्य विवेक कुमार मौर्य ने दीप प्रज्वलन के साथ किया. प्रशिक्षु नेहा, जतिन, अनीता व अन्य ने स्वागत गीत के साथ स्वागत प्रस्तुत किया.
संस्थान के प्राचार्य विवेक कुमार मौर्य, डॉ विनोद कुमार सिंह, नवनीत कुमार सिंह, मनोरंजन कुमार, अजय कुमार तिवारी, भूपेंद्र सिंह यादव, सहदेव प्रसाद ने अंग वस्त्र और बुके देकर सम्मानित किया. प्राचार्य ने आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए कहां कि यह सेमिनार बदलते हुए परिवेश में शिक्षक शिक्षा की भूमिका पर केंद्रित है और शिक्षक को सदैव इस परिवर्तन का अनुगामी बनना होगा. मुख्य वक्ता प्रो. ललित कुमार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति एनईपी-2020 के विभिन्न आयामों पर विस्तार से चर्चा किया.
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहें प्रो. नवल किशोर चौधरी ने कहां कि शिक्षक के आगे राजा भी झुक जाते हैं.शिक्षक को अपने महत्व को समझने की आवश्यकता हैै. डॉ प्रकाश रंजन ने अध्यापक शिक्षा के विभिन्न आयामों पर चर्चा की. आयोजन सचिव डॉ ब्रजेश कुमार ने कहां कि यह सेमिनार शिक्षक शिक्षा के वर्तमान परिदृश्य मेंं एनईपी के संदर्भ में क्या बदलाव हुआ है ? इस पर चर्चा के लिए आयोजन किया गया. विभिन्न तकनीकी सत्र में देश के विभिन्न विश्वविद्यालय, कालेज, संकाय सदस्य शोध छात्रों ने अपने-अपने शोध पत्रों की प्रस्तुत किया.
ऑनलाइन सत्र की अध्यक्षता कर रहे डॉ मनीष कुमार सहायक प्राध्यापक हंसराज कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय ने कहां कि यह नीति एनईपी 2020 ने वर्तमान शिक्षा व्यवस्था के लिए क्रांतिकारी बदलाव लिए हुए है. डॉ प्रकाश रंजन सिंह गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज बाढ़ ने भी विचार व्यक्त किया. समापन सत्र के मुख्य वक्ता डा. अश्विनी तिवारी (स्टेट हेड मेघा) ने कहां कि आज विभिन्न छात्रों की समस्या के समाधान के लिए नए उपागम की आवश्यकता हैै.
डा. राहुल कुमार पांडेय कॉलेज प्राचार्य टी इन ए कॉलेज आरा ने कहां कि वर्तमान में रोजगार की स्थिति एवं वैश्विक परिस्थितियों में आ रहें, तीव्रगामी परिवर्तन के चलते यह अनिवार्य हो गया है कि विद्यार्थियों को जो भी समझाया या पढ़ाया जा रहा है. उसे सही प्रकार से आत्मसात करें. डॉ मजूमदार, शिक्षाविद ने कहाां कि एक शिक्षक को जीवन भर सिखने क़ी आवश्यकता होती है.
आभा रानी, एससीईआरटी ने अपने सम्बोधन में कहा कि जहां पर शिक्षक सदैव बच्चों के लिए तैयार रहते है. वह शिक्षक संस्थान आदरणीय है, शिक्षा समाज क़ी दिशा व दशा बदल सकती है. शिक्षक विभिन्न परिवर्तन के मूल में होते है, बच्चों को सीखाने के लिए शिक्षकों को रचनावादी बनना होगा. मनीष कुमार शशि आदि ने अपने विचार रखेेंं.
कार्यक्रम का संचालन डॉ संगीता कुमारी और धन्यवाद ज्ञापन नवनीत सिंह ने व्यक्त किया. मौके पर डॉ दिनेश सिंह, डा. विनोद सिंह, भूपेन्द्र सिंह यादव, अजय कुमार तिवारी, मनोरंजन कुमार, विवेक कुमार रजक, लिलावती कुमारी, डा. सत्या मिनाक्षी, आलोक सिंह, सहदेव प्रसाद, मनीष कुमार आदि उपस्थित रहें.