फाइलेरिया उन्मूलन के लिए 27 जून से भोजपुर में शुरू होगा नाइट ब्लड सर्वे
खून के सैंपल्स की जांच के लिए लैब टेक्नीशियन को दिया गया प्रशिक्षण, एनबीएस की बारीकियों से कराया गया अवगत
आरा, 26 जून | फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में फाइलेरिया के नए मरीजों की खोज की जाएगी। इसके लिए 27 जून से जिले में नाइट ब्लड सर्वे की शुरुआत की जानी है। इस दौरान नाइट ब्लड सर्वे में लोगों के रक्त के नमूने लिए जाएंगे और इसमें फाइलेरिया परजीवी की मौजूदगी का पता लगाया जाएगा।
राज्य स्तरीय स्वास्थ्य अधिकारियों के निर्देश पर सर्वे से पूर्व जिला के सभी प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के लैब टेक्नीशियनों के लिए आवश्यक प्रशिक्षण दिया गया। जिसके लिए बुधवार को जिला स्तर पर प्रशिक्षण शिविर का अयोजन किया गया। प्रशिक्षण में लैब टेक्नीशियन को बताया गया कि नाइट ब्लड सर्वे के दौरान किस प्रकार खून के सैंपल लेने है। साथ ही, कितनी देर के अंदर और किस प्रकार से खून के सैंपल्स की माइक्रोस्कोप में जांच करनी है।
प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन करते हुए एसीएमओ सह जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. केएन सिन्हा ने बताया कि जिले के 14 प्रखंड के अलावा सदर के शहरी क्षेत्र के सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों सहित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर नाइट ब्लड सर्वे कार्य होगा। इसके लिए सभी प्रखंडों व शहरी क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एरिया में दो सेशन साइट बनेगें। एक सेशन साइट से तीन सौ रक्त नमूने लिए जाएंगे।
उन्होंने बताया नाइट ब्लड सर्वे का कार्य चार दिनों तक चलेगा। प्रत्येक नाइट ब्लड सर्वे में 20 वर्ष आयु वर्ग से अधिक उम्र के लोगों के ब्लड सैंपल लिए जाएंगे। एक नाइट ब्लड सर्वे साइट पर 300 सैंपल जमा होगें। एक प्रखंड में एक सेंटिनल और एक रैंडम साइट का चयन कर एनबीएस का संचालन किया जाना है। दोनों सेशन साइट से कुल मिलाकर 600 रक्त के नमूने जांच के लिए जाएंगे।
रात 8:30 बजे से लेकर 12 बजे तक लिया जाएगा सैंपल
डॉ. केएन सिन्हा ने बताया कि जिले के ग्रामीण व शहरी इलाकों में फाइलेरिया (हाथीपांव) के कई मरीज मौजूद हैं। कई मरीजों में हाथीपांव के गंभीर मामले भी देखने को मिले हैं। उन्होंने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे जिले में फाइलेरिया मरीजों को पता लगाने का महत्वपूर्ण माध्यम है। ऐसा इसलिए निर्धारित किया गया है क्योंकि रात में फाइलेरिया के परजीवी सक्रिय रहते है।
इसलिए निर्धारित साइट्स पर रात 8:30 बजे से लेकर मध्य रात्रि 12 बजे के बीच लोगों के खून का सैंपल लिया जाएगा।सर्वे की मदद से फाइलेरिया प्रसार दर का पता लगाया जाता है। नाइट ब्लड सर्वे अभियान की मदद से जिले में हाथी पांव समेत फाइलेरिया से बचाव को लेकर माइक्रो प्लान तैयार करने में सहायता होती है। इससे फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों पर स्वास्थ्य विभाग अपना ध्यान केंद्रित कर सकेगा और प्रसार दर के अनुसार हाथीपांव से बचाव के लिए लोगों को सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम को सफल बनाने की दिशा में काम करेगा।
माइक्रोफाइलेरिया पाए जाने पर चलेगा एमडीए अभियान
प्रशिक्षण में शामिल डीआईओ डॉ. संजय कुमार सिन्हा ने बताया कि सर्वे के दौरान जिन इलाकों व गांवों में एक प्रतिशत से अधिक माइक्रोफाइलेरिया के संक्रमण की पुष्टि होगी वहां पर पर मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान चला जाएगा। एक प्रतिशत से कम आने पर उस जगह पर एमडीए अभियान नहीं चलेगा।
उन्होंने बताया कि इस बीमारी में लक्षणों की पहचान बेहद जरूरी है। जिसकी जानकारी सभी लोगों को होनी चाहिए। कई दिन तक रुक-रुक कर बुखार आना, शरीर में दर्द एवं लिम्फ नोड (लसिका ग्रंथियों) में सूजन, हाथ, पैरों में सूजन (हाथी पांव) एवं पुरुषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील) तथा महिलाओं के ब्रेस्ट में सूजन, पहले दिन में पैरों में सूजन रहती है और रात में आराम करने पर कम हो जाती है।
संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण पांच से 15 साल तक में दिख सकते हैं। जिसके कारण इसका पता लोगों को देर से चलता है। प्रशिक्षण में डीएएम अश्विनी कुमार, डब्ल्यूएचओ के जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ. अरुण कुमार, वीडीसीओ अजीत कुमार पटेल, वीडीसीओ अनुज कुमार, पीरामल इंडिया के डीसी सोमनाथ ओझा, पीरामल के हिमांशु कुमार के अलावा सभी प्रखंडों के बीसीएम, लैब टेक्नीशियन, वीएचएसएनडी साइट्स पर कार्य करने वाले स्वास्थ्य कर्मी शामिल हुए।