सभी आंगनबाडी केंद्र पर लटके रहे ताला, बैरंग लौटे नामांकित बच्चें
डुमरांव. शुक्रवार को प्रखंड कार्यालय स्थित बाल विकास परियोजना कार्यालय के समक्ष बिहार राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन के बैनर तले एवं बिहार राज्य आंगनबाड़ी संयुक्त संघर्ष मोर्चा समिति के आवाहन पर पांच सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हो गया. इस क्रम में प्रखंड क्षेत्र के लगभग सभी सेविकाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए अपनी मांग को पूरा करने को लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज की. अध्यक्षता जिला महासचिव लीलावती देवी और संचालन प्रखंड अध्यक्ष इंदु देवी ने किया.
वहीं महासचिव ने कहां कि विधानसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन द्वारा अपने घोषणा पत्र में सरकार बनने पर सेविका-सहायिकाओं का मानदेय को दुगुना करने का वादा किया गया था, साथ ही साथ उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के द्वारा लगभग अधिकांश चुनावी सभा में भी इस आशय का आश्वासन दिया गया था. मानदेय दुगुना करने की बात छोड़ दिया जाए अभी तक प्रतिनिधि मंडल से मिलने तक का कष्ट नहीं किया गया. इस बार आर पार की लड़ाई होगी. सरकार को राज्यकर्मी का दर्जा देना होगा. मौके पर प्रखंड क्षेत्र की सेविका-सहायिका मौजद रहीं.
मानदेय को दुगना करने का किया था वादा
बिहार राज्य आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका संघ के बैनर तले आयोजित धरना में मनेर प्रखंड अध्यक्ष सुषमा कुमारी ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन द्वारा अपने घोषणा पत्र में सरकार बनने पर आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका के मानदेय को दुगना करने का वादा किया गया था.
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव द्वारा अधिकांश चुनावी सभा में भी इसको लेकर आश्वासन दिया गया था. लेकिन मानदेय दुगना करने की बात दूर, सरकार ने प्रतिनिधि मंडल से मिलने की जरूरत भी नहीं समझी.
समिति ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बता दी है अपनी माँग
सुषमा कुमारी ने बताया कि इस बाबत मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर अपनी मांगों के बारे में जानकारी दी है. हमारी मांगों में यह भी शामिल किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में बिहार में भी ग्रेच्युटी भुगतान करना सुनिश्चित किया जाए.
साथ ही योग्य सहायिक से सेविका में बहाली के लिए अतिरिक्त दस बोनस अंक देने के प्रावधान को लागू किया जाये एवं सेविका से पर्यवेक्षिका तथा सेविका-सहायिका के रिक्त पदों पर अविलंब बहाली सुनिश्चित की जाए.
सेविकाओं एवं सहायिकाओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की माँग
अखिल भारतीय सेविका-सहायिका कर्मचारी संघ की नेतृत्वकर्ता कुमारी रंजना ने बताया कि लंबे समय से आंगनबाड़ी सेविकाओं-सहायिकाओं की मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है. इसे लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल किया जा रहा है.
उन्होंने कहा सरकार से आंगनबाड़ी सेविकाओं को 25 हजार तथा सहायिकाओं को 18 हजार रुपये मानदेय राशि देने की मांग की गयी है. साथ ही सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, बिहार सरकार द्वारा अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दस हजार रुपये सुनिश्चित करने आदि की मांग को लेकर संघर्ष जारी रहेगा.
सरकार पर आश्वासन देकर फुसलाने का आरोप
बिहार राज्य आंगनबाड़ी संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा जारी मुख्यमंत्री को भेजे गये पत्र में राज्य सरकार पर आश्वासन देकर बहलाने-फुसलाने का आरोप लगाया है. पत्र में कहा गया है कि वर्तमान वर्ष में जनवरी माह से मार्च माह के बीच लगातार तीन महीने तक संघर्ष समिति के
तत्वाधान में आहूत चरणबद्ध आंदोलन के बीच निदेशक आइसीडीएस एवं प्रधान सचिव समाज कल्याण विभाग द्वारा दिए गए आश्वासन पर भरोसा करते हुए संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा चरणबद्ध आंदोलन के अंतिम चरण का राज्य व्यापी प्रदर्शन को स्थगित कर दिया गया था. लेकिन इसके बाद भी राज्य सरकार ने निर्णय नहीं लिया.
पांच सूत्री मांगों में –
-बिहार सरकार द्वारा अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि 10 हजार करने
-सुप्रीम कोर्ट का आदेश के आलोक में बिहार में भी ग्रेच्युटी भुगतान,
-केंद्र सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारी का दर्जा देते हुए कर्मचारी और क्रमशः ग्रेड सी व ग्रेड डी में समायोजित किया जाए. जब तक सरकारी कर्मचारी का दर्जा प्राप्त नहीं हो जाता, तब तक सेविकाओं को 25 हजार एवं सहायिकाओं को 18 हजार प्रतिमाह मानदेय राशि देने
-योग्य सहायिका से सेविका में बहाली हेतु अतिरिक्त 10 बोनस अंक देने के प्रावधान को लागू किया जाए एवं सेविका से पर्यवेक्षिका तथा सेविका/सहायिका के रिक्त सभी पदों पर अविलंब बहाली
-16.5.2017 एवं 20 जुलाई 2022 के समझौते के आलोक में लंबित मांगों को लागू किया जाए