उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ सम्पन्न
-छठ व्रत पूरी तरह से प्रकृति की पूजा, चर्म रोगों में यह व्रत विशेष लाभकारी
डुमरांव. चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ उदयीमान सूर्य के अर्घ्य देने के साथ सम्पन्न हो गया. गुरुवार को छठ व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया. शुक्रवार को छठ पर्व उगते सूर्य के अर्घ्य देने के साथ सम्पन्न हो गया. बुधवार को व्रतियों ने खरना का प्रसाद खाने के बाद से व्रती निर्जला उपवास किया. अस्ताचलगामी व उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के दौरान छठिया पोखरा पर हजारों की भीड़ जुटी. इसके लिए प्रशासन द्वारा सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थी.
अनुमंडल व नगर परिषद प्रशासन द्वारा राजेश्वर मंदिर के सामने छठिया पोखरा घाट पर नजर रखने के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया था. जिसमें एसडीओ राकेश कुमार, एसडीपीओ अफाक अख्तर अंसारी, नप कार्यपालक पदाधिकारी मनीष कुमार, सीओ समन प्रकाश, थानाध्यक्ष शंभू कुमार भगत सहित अन्य उपस्थित रहें. व्रतियों के आवागमन वाले चौक-चौराहों पर पुलिस बल तैनात दिखें. कई व्रतियों ने अपने घर से भुईया परी होकर घाट पर अपने परिजनों के साथ पहुंच गुरूवार को अस्ताचलगामी व शुक्रवार को उदयीमान सूर्य को समयानुसार अर्घ्य दिया.
राजेश्वर मंदिर, काकी जी मंदिर, शिव मंदिर और चिल्ड्रेन पार्क घाट के अलावे ट्रेनिंग स्कूल, रामसूरत राय पोखरा, जंगली नाथ शिव मंदिर सहित नप क्षेत्र में बने लगभग 17 छठ घाट पूरे तरह व्रतियों से पटा रहा. अर्घ्य देने के बाद पंडाल में स्थापित भगवान भास्कर की प्रतिमा का दर्शन करने के बाद अपने घर को जा रहे थे. छठिया पोखरा पर पंडाल में स्थापित भगवान भास्कर, राजेश्वर मंदिर में भगवान भास्कर और काकी जी मंदिर गंगा जी का छठ व्रती व उनके परिजनों ने दर्शन कर घाट से घर लौटे. भुईया परी होते हुए कई महिला-पुरूष छठ व्रती घाट तक पहुंचे.
छठिया पोखरा पर मेडिकल टीम एंबुलेन्स के साथ व बिजली विभाग की टीम तैनात रहीं.छठ व्रत पूरी तरह से प्रकृति की पूजा-छठ व्रत पूरी तरह से प्रकृति की पूजा है. इसमें नए फसल, मौसमी फल के साथ नदी, तालाब, पोखर में भगवान सूर्य अर्घ्य दिया जाता है. भगवान सूर्य की उपासना का पर्व छठ आरोग्यता प्रदान करने का व्रत है. इस पर्व को लोग धन, धान्य व सुख समृद्धि की कामना को लेकर करते हैं. ऐसी मान्यता है कि छठ के व्रतियों में सूर्य की वह उर्जा विद्यमान हो जाती है कि व्रती पूरे साल बीमारियों से दूर रहता है.
चर्म रोगों में छठ का व्रत विशेष लाभकारी माना जाता है
सूर्य से सीधे जुड़ने के साथ है, बीच में कोई माध्यम नहीं-तीसरे दिन शाम को बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य का सूप सजाया जाता है, जिसके बाद व्रती अपने परिवार के साथ सूर्य को अर्घ्य दिया. इसके साथ ही चौथे दिन सुबह उगते हुए सूर्य को दूसरा अर्घ्य दिया. अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया. पूरे अनुशासन के साथ. निर्जला की सात्विकता के साथ. इस मायने में यह प्रकृति पर्व है. समाज की हर जाति के सम्मान के साथ है.
सूर्य से सीधे जुड़ने के साथ है. बीच में कोई माध्यम नहीं है.खरना प्रसाद का विशेष महत्व-छठ व्रतियों के घर का खरना प्रसाद विशेष महत्व का होता है. व्रत धारण करने वाले लोगों ने परिजनों को खीर प्रसाद ग्रहण करने के लिए आमंत्रित किया था. खरना पूजा में मिट्टी से सिर धोकर व्रती दिन भर निर्जला व्रत पर रहे. शाम को बिना शक्कर से गुड़ की खीर एवं पूड़ी का प्रसाद बनाया गया. रात में चंद्र दर्शन के बाद छठ मैया के व्रतियों ने उस प्रसाद को ग्रहण किया.