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हाथीपांव से प्रभावित अंगों की साफ-सफाई के साथ नियमित देखभाल भी जरूरी : डॉ. अनिल

बिहिया सीएचसी में मरीजों के बीच एमएमडीपी किट का वितरण

हाथीपांव के मरीजों को दी गई एमएमडीपी किट के इस्तेमाल की जानकारी

आरा, 29 नवंबर | स्वास्थ्य विभाग जिले से फाइलेरिया के पूरी तरह उन्मूलन को कटिबद्ध है। जिसको लेकर जिले के सभी प्रखंडों में मार्बिडीटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रीवेंशन (एमएमडीपी) क्लिनिक का संचालन किया जा रहा है। इस क्रम में जिले के बिहिया प्रखंड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हाथीपांव के मरीजों के बीच एमएमडीपी किट का वितरण किया गया।

साथ ही, रोगियों को घाव की नियमित सफाई और एमएमडीपी किट के इस्तेमाल की जानकारी दी गई। बताया गया कि जिनके हाथ-पैर में सूजन आ गई है या फिर उनके फाइलेरिया के हाथीपांव बीमारी से ग्रस्त अंगों से पानी का रिसाव होता है। इस स्थिति में उनके प्रभावित अंगों की सफाई बेहद आवश्यक है।

इसलिए एमएमडीपी किट प्रदान की जा रही है। इस किट में एक-एक टब, मग, बाल्टी तौलिया, साबुन, एंटी फंगल क्रीम आदि शामिल हैं। मौके पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार, बीएचएम रितेश कुमार, वीबीडीएस संगीता कुमारी, फील्ड वर्कर महेश प्रसाद और पीरामल बीसी रत्नेश कुमार मौजूद रहे।

लापरवाही बरतने पर खराब होने लगते हैं अंग

इस दौरान एमओआईसी डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि फाइलेरिया यानी हाथीपांव प्रभावित अंगों की साफ-सफाई व देखभाल जरूरी है। फाइलेरिया ग्रस्त अंगों मुख्यतः पैर की साफ-सफाई रखने से इंफेक्शन का डर नहीं रहता और सूजन में भी कमी रहती है।

इसके प्रति लापरवाही बरतने पर अंग खराब होने लगते हैं। इससे समस्या बढ़ जाती है। इन्फेक्शन को बढ़ने से रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा दवा भी दी जाती है। एक बार यह बीमारी हो गई तो ठीक नहीं होती है। उचित प्रबंधन से प्रभावित अंगों की देखभाल की जा सकती और जीवन को सरल बनाया जा सकता है। दवा के सेवन से ही इस बीमारी से बचा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से साल में एक बार सभी को फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन कराया जाता है। जिसका सेवन सभी को करना चाहिए। ताकि, हम फाइलेरिया के प्रसार को रोक सकें। यदि कोई व्यक्ति लगातार पांच वर्ष तक साल में एक बार इन दवाओं का सेवन करता है तो उसके फाइलेरिया के चपेट में आने की संभावना खत्म हो जाती है।

मरीजों को दी गई किट के इस्तेमाल की जानकारी

फील्ड वर्कर महेश प्रसाद ने मरीजों कि हाथीपांव के मरीजों के लिए दवाओं के साथ किट का इस्तेमाल भी जरूरी है। उन्होंने मरीजों को फाइलेरिया से प्रभावित स्थानों को साफ करने व दवा लगाने की विधि बताई। इस दौरान एमएमडीपी किट का प्रयोग करने के पूर्व मरीजों को डेमो दिखाया गया है। जिससे वे उपचार की विधि समझ सकें।

हाथीपांव के मरीज उपचार के समय पहले पैर पर पानी डाल लें। उसके बाद हाथ में साबुन लेकर उसे हलके हाथ से रगड़ें और झाग निकालें। जिसके बाद हल्के हाथ से पैर में घुटने से लेकर तलुए तक और उंगलियों के बीच अच्छे से साबुन लगायें। जिसके बाद हल्के हाथ से घुटने से पानी डालकर उसे धो लें। धोने के बाद मुलायम तौलिया लेकर हल्के हाथ से पोछ लें।

इसके बाद पैर में जहां पर घाव हो वहां पर एंटी फंगल क्रीम लगायें। उन्होंने बताया कि हाथीपांव के मरीजों को सोने समय तकिया या गद्दे का इस्तेमाल कर पैर को ऊंचा करके सोना चाहिए। साथ ही, उन्होंने मरीजों व्यायाम करने की भी सलाह दी। जिससे पैरों को आराम मिले।

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