
शिक्षकों के समर्पण और सृजनात्मकता का जीवंत दस्तावेज
सीतामढ़ी (रून्नीसैदपुर)। शिक्षा जगत में नवाचारों की एक अनूठी मिसाल बनकर सामने आई पुस्तक ‘शैक्षिक प्रयास’ शिक्षकों के बीच प्रेरणा का स्रोत बनती जा रही है। मध्य विद्यालय गंगवारा की शिक्षिका अंजू कुमारी ने इस पुस्तक को पढ़ने के उपरांत अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि, “जब मैंने शैक्षिक प्रयास पुस्तक को पढ़ना शुरू किया, तब यह केवल एक पुस्तक नहीं रही, बल्कि देशभर के समर्पित शिक्षकों के जीवंत अनुभवों और नवाचारों का संग्राह बन गई।”
उन्होंने बताया कि पुस्तक के हर पृष्ठ पर एक नई सोच, नई दिशा और बच्चों के हित में किया गया कोई न कोई अद्भुत प्रयास दिखाई देता है। यह पुस्तक उन शिक्षकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जो सीमित संसाधनों में भी कुछ अलग करने की चाह रखते हैं। अंजू कुमारी ने यह विश्वास व्यक्त किया कि रचनात्मकता और समर्पण से शिक्षा में असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
हर शिक्षक के लिए जरूरी है यह पुस्तक
उन्होंने कहा कि शैक्षिक प्रयास न केवल एक पुस्तक है, बल्कि शिक्षकों के लिए एक प्रेरणा-पुंज है। यह पुस्तक शिक्षकों के सोचने के नजरिए को बदलने के साथ-साथ कक्षा-कक्ष को नवाचार से भर देती है। इसके माध्यम से शिक्षक यह जान सकते हैं कि साधन की कमी कभी भी शिक्षा में बाधा नहीं बनती, यदि सोच सकारात्मक और कार्यभावना दृढ़ हो।
शिक्षकों ने दी सकारात्मक प्रतिक्रियाएं
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका रेणु कुमारी ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे नवाचार आधारित दस्तावेजों का अध्ययन सभी शिक्षकों को करना चाहिए। वहीं शिक्षक लाल बाबु रजक, सुरेन्द्र मंडल, नीलम कुमारी, राखी कुमारी, पद्मलता और फारूक आजम ने भी अंजू कुमारी के विचारों का समर्थन करते हुए पुस्तक के संपादक व लेखकों को बधाई दी।
शिक्षकों का मानना है कि यह पुस्तक न केवल उनके पेशेवर विकास में सहायक होगी, बल्कि छात्रों की रुचि व सहभागिता बढ़ाने में भी मददगार साबित होगी। शिक्षकों ने यह अपील भी की कि शैक्षिक प्रयास जैसी पुस्तकों को सभी विद्यालयों तक पहुँचाया जाए ताकि नवाचार की यह लौ और अधिक शिक्षकों तक पहुँचे।
शैक्षिक प्रयास पुस्तक एक ऐसा दर्पण है जिसमें शिक्षक अपने प्रयासों को प्रतिबिंबित होते देख सकते हैं और दूसरों से प्रेरणा लेकर अपने कक्षा-कक्ष को एक प्रयोगशाला में परिवर्तित कर सकते हैं — जहाँ बच्चों की कल्पनाशक्ति, अभिव्यक्ति और रचनात्मकता का सहज विकास संभव हो सके।