
भागलपुर। सुरक्षित शनिवार कार्यक्रम के तहत राजकीय मध्य विद्यालय नाथनगर, नगर निगम भागलपुर में शनिवार को एक रंगारंग मेहंदी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य छात्राओं में रचनात्मकता को प्रोत्साहित करना और भारतीय पारंपरिक कलाओं के प्रति उनका झुकाव बढ़ाना था। प्रतियोगिता में विद्यालय की दर्जनों छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय की शिक्षिका अमृता कुमारी की देखरेख में हुई। उन्होंने छात्राओं को प्रतियोगिता के उद्देश्य और महत्व के बारे में जानकारी दी। अमृता कुमारी ने कहा कि मेंहदी न केवल एक सौंदर्य कला है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक परंपरा का अहम हिस्सा भी है। इस तरह की गतिविधियाँ बच्चों के आत्मविश्वास, रचनात्मक सोच और सौंदर्यबोध को निखारने में सहायक होती हैं।
प्रतियोगिता के दौरान छात्राओं ने अपने हाथों पर पारंपरिक, आधुनिक और रचनात्मक डिजाइनों की शानदार प्रस्तुति दी। कुछ छात्राओं ने फूल-पत्तियों की जालीदार डिजाइन बनाई, तो कुछ ने दुल्हन शैली की जटिल मेहंदी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। छात्राओं की प्रतिभा, कल्पनाशीलता और परिश्रम साफ तौर पर उनके कार्यों में झलक रहा था।
विद्यालय का पूरा वातावरण मेहंदी की भीनी-भीनी खुशबू और छात्राओं की मुस्कान से सराबोर था। छात्राएं एक-दूसरे के डिजाइनों को देखकर प्रेरणा ले रही थीं, जिससे आपसी सहयोग और सौहार्द की भावना का विकास भी देखने को मिला। इस दौरान शिक्षिकाओं ने भी छात्राओं का उत्साहवर्धन किया और उनके प्रयासों की सराहना की।
प्रतियोगिता का मूल्यांकन प्रधानाध्यापिका अंजू कुमारी, शिक्षिका नूतन कुमारी और जगदंबा कुमारी द्वारा किया गया। निर्णायक मंडल ने प्रतिभागियों के कार्यों का मूल्यांकन रचनात्मकता, सौंदर्यबोध, सफाई और समग्र प्रस्तुति के आधार पर किया। विजेता छात्राओं के नामों की घोषणा अगले सप्ताह की विशेष प्रार्थना सभा में की जाएगी और उन्हें पुरस्कार तथा प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे।
विद्यालय प्रबंधन की ओर से यह जानकारी दी गई कि भविष्य में इस तरह की और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी, ताकि छात्र-छात्राओं की कला एवं संस्कृति के प्रति रुचि और अधिक बढ़े। कार्यक्रम के अंत में प्रधानाध्यापिका अंजू कुमारी ने सभी प्रतिभागियों, शिक्षकों और आयोजन समिति को सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया।
यह मेहंदी प्रतियोगिता न केवल छात्राओं की छिपी प्रतिभा को मंच देने का माध्यम बनी, बल्कि विद्यालय में एक रचनात्मक और उत्सवपूर्ण वातावरण भी निर्मित हुआ।
