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पटाखों और धुएं से दूर रहें टीबी के मरीज, बचाव के लिए मास्क जरूरी

जिला यक्ष्मा केंद्र टीबी मरीजों को सतर्क और सुरक्षित रहने की कर रहा है अपील

बक्सर, 10 नवंबर | रविवार को जिले के सभी प्रखंडों में धूमधाम से दीपावली का महापर्व मनाया जाएगा। इस दिन सभी दीप और पटाखें जलाकर अपनी खुशियों का इजहार करते हैं। लेकिन पटाखों की रौशनी के अलावा तेज आवाज और उसके धुएं किसी और के लिए परेशानी का सबब बन जाते हैं। हालांकि, पटाखों से निकलने वाले धुएं सभी के लिए खतरनाक है। लेकिन सबसे अधिक परेशानी टीबी और सांस के मरीजों को होती है।

पटाखों के धुएं से जहां सांस की तकलीफ और बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है, ठीक वैसे ही इसके प्रदूषण से पर्यावरण को भी खतरा पहुंचता है। वहीं,पटाखों से निकलने वाले धुएं में शामिल सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड, कॉपर,लेड, मैग्नेशियम, सोडियम, जिक, नाइट्रेट एवं नाइट्राइट जैसे घातक तत्व शामिल होते हैं। जो टीबी मरीजों की स्थिति और गंभीर बना सकते हैं। ऐसे में जिला यक्ष्मा केंद्र टीबी मरीजों को सतर्क और सुरक्षित रहने की अपील कर रहा है।

पटाखों का धुआं श्वसन तंत्रिका को प्रभावित करता है

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया, सर्दी के मौसम में रात में शीत और कुहासों के कारण पटाखों के धुएं जमीन से ज्यादा दूर नहीं जा पाते। पटाखों से निकलने वाला धुआं व्यक्ति के श्वसन तंत्रिका को प्रभावित करता है। जो टीबी मरीजों व अस्थमा मरीजों के अलावा अन्य लोगों को भी प्रभावित करता है।

ऐसे में लोगों को समझना होगा कि प्रदूषण जितना कम फैलेगा, सेहत के दृष्टिकोण से हम सभी लोग उतने सुरक्षित रहेंगे। इसलिए दीपावली के अवसर पर घर के जिम्मेदार लोग बच्चों और युवाओं को पटाखों से निकलने वाले जहरीले धुएं से होने वाले दुष्प्रभाव के संबंध में जागरूक करें।

मास्क के प्रयोग से करें बचाव

सीडीओ डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया कि किसी भी तरह से श्वसन तंत्रिका का संक्रमित या कमजोर हो जाना हमारे लिए घातक हो सकता है। ऐसे में टीबी मरीज पटाखों के धुएं से बचने के लिए मास्क का प्रयोग करें। उन्होंने बताया कि दीपावली के बाद सर्दियां बढ़ जाती है।

ऐसे में हम कोरोनाकाल के मास्क की आदत को फिर से दोहराना होगा। न केवल टीबी मरीज बल्कि कोई भी दीपावली के समय मास्क का प्रयोग कर सांस की तकलीफ होने से अपना बचाव कर सकते हैं। विशेषकर बच्चों को भी पटाखों को जलाने के समय मास्क का प्रयोग करने के लिए प्रेरित करें।

पटाखों के कारण मानसिक या शारीरिक परेशानी होने ले चिकित्सीय सलाह

सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया, आज के समय लोगों को आकर्षित करने के लिए कंपनियां तेज आवाज के पटाखों का निर्माण करती हैं। पटाखों की तेज आवाज से मानसिक तनाव, हृदयाघात, कान के पर्दे फटने का या तेज रौशनी से आंखों को नुकसान होने का डर रहता है। यही नहीं पटाखों से निकलने वाले घातक तत्वों से त्वचा को भी नुकसान पहुंचता है।

बुजुर्गों को इस दौरान घर के बाहर नहीं निकलने दें। वहीं, अस्थमा के मरीजों को हमेशा इन्हेलर साथ रखने और जरूरत पड़ने पर तुरंत इस्तेमाल की हिदायत दें। यदि उनमें किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक असुविधा या बदलाव दिखे तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें। साथ ही, पटाखों के धुएं से वायु प्रदूषण व उसके दुष्प्रभाव को बढ़ावा भी मिल सकता है। जिसे कम करने के लिए हम सभी को आगे आकर पटाखों के इस्तेमाल को कम करने के लिए संकल्प लेना होगा।

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