
डुमरांव (बक्सर)। पर्यावरण संरक्षण और जन-जागरूकता के उद्देश्य से डुमरांव के छठिया पोखरा स्थित बड़का अंगना परिसर के शिव मंदिर में एक विशेष पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में डुमरांव के पर्यावरण योद्धा, शिक्षक, समाजसेवी, राजनीतिक प्रतिनिधि और विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों की सक्रिय सहभागिता रही। आयोजन के दौरान 25 प्रतीकात्मक पौधों का रोपण किया गया।
कार्यक्रम की विशेष बात यह रही कि यह आयोजन प्रख्यात शिक्षक एवं पर्यावरण प्रेमी डॉ. मनीष कुमार शशि के जन्मदिवस के अवसर पर संपन्न हुआ, जो राज्य सरकार और राष्ट्रीय शैक्षिक संस्थाओं से सम्मानित हो चुके हैं। इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता पर गहन चर्चा हुई और पर्यावरण के महत्व को जनमानस तक पहुँचाने के लिए वैवाहिक, पारिवारिक एवं सरकारी कार्यक्रमों से जोड़ने का सुझाव भी दिया गया।
कार्यक्रम में ‘तरु मित्र’ उमेश गुप्ता रौनियार ने नेतृत्व करते हुए पर्यावरण संरक्षण को सामाजिक आंदोलन बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यदि प्रत्येक नागरिक अपने जीवन के महत्वपूर्ण अवसरों पर एक-एक पौधा लगाए और उसका संरक्षण करे, तो यह धरती पुनः हरियाली से भर सकती है।
वार्ड पार्षद विजय सिंह ने कहा कि नगर निकायों को भी पौधारोपण अभियानों को अपनी योजनाओं में शामिल करना चाहिए। उन्होंने इस प्रयास की सराहना की और हर वार्ड में ऐसे कार्यक्रमों को आयोजित करने की घोषणा की।
भारत सोनार, कमलेश कुमार, मनोज कुमार सिंह, चुनचुन गुप्ता तथा बड़क प्रसाद ने भी अपने विचार रखे और समाज में पर्यावरण जागरूकता के प्रचार-प्रसार पर बल दिया।
भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी के सचिव शत्रुघ्न प्रसाद गुप्ता (मोहन जी) ने पर्यावरण और स्वास्थ्य के गहरे संबंध को रेखांकित करते हुए कहा कि आज की सबसे बड़ी आवश्यकता यही है कि हम अपने बच्चों के भविष्य के लिए हरियाली छोड़ें।
सुमित्रा महिला महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. संजय कुमार सिंह ने पर्यावरणीय संतुलन और मानवीय मूल्यों के बीच संबंध को स्पष्ट करते हुए कहा कि प्रकृति का सम्मान करना ही असल में मनुष्य का धर्म है।
विकास फैमिली क्लब के संस्थापक मनोज कुमार मिश्रा ने ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे आयोजनों के विस्तार की आवश्यकता बताई और कहा कि जब तक समाज का अंतिम व्यक्ति पर्यावरण के प्रति सचेत नहीं होगा, तब तक पूर्ण जागरूकता संभव नहीं।
अंत में, डॉ. मनीष कुमार शशि ने आयोजन की सराहना करते हुए उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि पर्यावरण संरक्षण अब एक सामाजिक आंदोलन बनना चाहिए, न कि केवल एक अवसर विशेष तक सीमित रहना चाहिए।
यह आयोजन डुमरांव के लिए एक प्रेरणादायी पहल बनी, जिसने पर्यावरण के प्रति जन-संवेदनशीलता को मजबूती दी।