खरहाटांड गांव में 45 वर्षों से हो रहा है रामलीला का आयोजन, देखने के लिए उमड़ रही भीड़
सिमरी। खरहाटांड़ गांव में मां दुर्गा पूजा सांस्कृतिक छात्र कला परिषद समिति के द्वारा पिछले 45 वर्षों से रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। गुरुवार को मंत्रों उच्चारण के साथ रामलीला का शुभारंभ हुआ। छात्र कला मंच पर सबसे पहले भगवान विष्णु का आरती किया गया। उसके बाद प्रथम दृश्य पितृ भक्त श्रवण कुमार का दिखाया गया। जिसमें वह अपने अंधे माता-पिता को तीर्थाटन के लिए ले जाते हैं। रास्ते में प्यास लगने के कारण वह जल लेने जाते हैं। उसी समय राजा दशरथ भी शिकार के लिए गए होते हैं।
श्रवण जब जलपात्र में जल भर रहे होते हैं तो दशरथ को लगता है कि कोई हिरण पानी पी रहा है। वे शब्दभेदी बाण चला देते हैं। इसके लगने से श्रवण की मृत्यु हो जाती है। वहीं, दुखी होकर श्रवण के माता-पिता दशरथ को पुत्र वियोग में मरने का श्राप देते हैं। श्रवण को बाण लगने से पंडाल में मौजूद जनता की आंखें भर आती हैं। आगे दिखाया गया कि देव ऋषि नारद शीलनिधि के पुत्री विश्व मोहनी के माया चेहरे में फस जाते है।
नारद को वानर का रूप मिलता है। भगवान विष्णु सहित द्वारपाल को देव ऋषि के द्वारा स्थापित किया जाता है। उसके बाद रावण एवं मेघनाद का धरती पर बढ़ता अत्याचार पूजा ऋषि मुनियों पर अत्याचार का दृश्य दिखाया गया। जिसमे रावण को ब्रह्म से वर मिला होता है। जिसमे रावण देव, दानव, किन्नर आदि को निर्भय हो कर जीत सकूं। ब्रह्मा वर देते हैं। इसके बाद अहंकार में चूर रावण देव ऋषि नारद के उकसाने पर शंभु सहित कैलाश पर्वत उठाने चला जाता है।
भगवान शिव उसे दंड देते हैं अपने भुज बल के घमंड के कारण रावण ने नर व वानरों को जीतने का वर लेना आवश्यक नहीं समझा। इसीलिए रावण जैसे दानवों का वध करने के लिए भगवान श्री विष्णु ने नर के रूप में अवतार लिया। इस रामलीला को कराने वाले डायरेक्टर मृत्युंजय ओझा रमेश मिश्र, मेकप आर्टिस्ट चुनमुन ओझा, नारायण ठाकुर सहित कई लोग उपस्थित थे। समिति के अध्यक्ष संजय ओझा ने कहा कि रामलीला 1979 से ही समिति के द्वारा कराया जा रहा है।