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बेतिया – छः महीने तक लगातार दवा का कोर्स पूरी कर जीता टीबी से जंग : प्रमोद 

– टीबी से मुक्त होने पर मिला प्रमाण पत्र

– बगहा 1 व आस-पास क्षेत्र के लोगों को बताते है टीबी के लक्षण व बचाव के उपाय 

बेतिया। जिले के बगहा एक प्रखंड के निवासी 48 वर्षीय टीबी चैंपियन प्रमोद तिवारी ने बताया की आज से एक साल पहले उनको खांसी और बुखार के साथ बलगम अधिक मात्रा में आने पर वह गांव के डॉक्टर से दिखाकर दवा दुकान से दवा खरीद कर खाते थे तो हल्का आराम मिलता था। पुनः स्थिति ज्यों का त्यों हो जाता था।

शरीर कमजोर पड़ने पर इस तरह उनका मन किसी कार्य में नहीं लगता था, वे परेशान रहने लगे तभी उनकी मुलाक़ात केएचपीटी के सामुदायिक समन्वयक विकास ठाकुर से हुई ज़ब वे लोगों को जागरूक करते हुए एक कार्यक्रम में मिलें।

उनके साथ स्वास्थ्य विभाग की टीम भी थीं जो टीबी के बीमारियों के लक्षण -बलगम के साथ खांसी, बुखार, कमजोरी, वजन कम होना व उससे बचने के उपाय, टीबी की मुफ्त जाँच व दवा सेवन के तरीके बता रहे थें, तब मैंने इनसे मिल अपनी बाते बताइ, फिर विकास ठाकुर के कहने पर सरकारी अस्पताल में बलगम की जांच कराई।

जिसमें टीबी की पुष्टि हुई अब यह सोंच कर मन घबराने लगा की जाने कब ठीक होगा। मुझे टीबी हो गया ये बातें ज़ब सम्बंधियों व आस-पड़ोस के लोगों को पता लगी तो लोगों ने दूरी बनाना शुरू कर दिया। लेकिन मैं आत्मविश्वास के साथ लगातार डॉ के सम्पर्क में रहा, सही ढंग से इलाज कराया, अपना आत्मविश्वास नहीं खोया और टीबी पर विजय प्राप्त किया।

छः महीने लगातार कोर्स कर टीबी से मुक्त हुआ

प्रमोद तिवारी ने बताया की टीबी होने पर दवा का सेवन आरम्भ करने के बाद मैंने लगातार 6 महीने तक पूरी दवा का कोर्स किया। हलांकि दवा शुरू करने के एक महीने बाद से ही मुझे आराम महसूस होने लगा। उसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के डॉ के लगातार सम्पर्क में रहकर इलाज कराया और टीबी से मुक्त हुआ।

अब मैं स्वस्थ हुँ, मेरा कृषि कार्य भी सुचारु रूप से चल रहा है। तभी मेरे अंदर प्रेरणा आई की क्यों न गाँव, समाज के लोगों को भी टीबी के प्रति जागरूक किया जाए, मैंने देखा है की अभी भी जानकारी के अभाव में लोग टीबी के लक्षण से ग्रसित होने के वावजूद भी जाँच, इलाज न कराकर कष्टदायक जीवन जीने को मजबूर है।

अगर सरकारी अस्पताल में जाँच, इलाज कराई जाए, तो वे टीबी से मुक्त हो सकते है। इसी सोंच के बाद गांव के आस-पड़ोस के लोगों, मजदूरी करने वालों को टीबी के बारे में जागरूक करने लगा, लोगों को बताया की टीबी जानलेवा रोग है परंतु सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज कराकर दवाओं के पुरे कोर्स करने पर एवं संतुलित आहार का सेवन करने पर यह ठीक हो सकता है।

आत्मिक ख़ुशी के लिए करता हुँ कार्य

प्रमोद तिवारी कहते है की मैं जिन परिस्थिति से गुजरा हूं मैं यह नहीं चाहता हूं की इस स्थिति से कोई भी गुजरे, इसलिए अब वह केएचपीटी के साथ मिलकर जीविका दीदियों के बैठक में या केयर एंड सपोर्ट ग्रुप के बैठक में लोगों को टीबी के प्रति जागरुक करते हैं और

बताते हैं कि टीबी कोई बड़ी बीमारी नहीं है टीबी का इलाज संभव है, सही समय पर इलाज कराकर, थोड़ी सी सावधानी और पौष्टिक आहार से टीबी पर आसानी से विजय प्राप्त किया जा सकता है। टीबी चैंपियन प्रमोद तिवारी को सर्टिफिकेट भी दिया गया है। वे जिला के टीबी फोरम मीटिंग में भी भाग ले चुके हैं।

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