समस्तीपुर : ट्रिपल ड्रग थेरेपी से जिले में पहली बार फाइलेरिया के प्रसार पर होगा वारः डॉ एसके चौधरी
– करीब 40 लाख की आबादी होगी लाभान्वित
– ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर के सामने ही खानी होगी दवा
समस्तीपुर। जिले में पहली बार फाइलेरिया के प्रसार को कम करने के लिए 20 सितंबर से ट्रिपल ड्रग थेरेपी के तहत आइवर मेक्टिन, डीइसी तथा एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाएगी, जिससे जिले के करीब 40 लाख लोग लाभान्वित होंगे। यहआइवरमेक्टिन दवा 5 साल से उपर के लोगों को खिलाई जाएगी। ये बातें सिविल सर्जन डॉ एसके चौधरी ने मंगलवार को सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीएफएआर) तथा जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा आयोजित मीडिया कार्यशाला के दौरान कही।
वहीं जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ विजय कुमार ने बताया कि बुधवार से शुरु होने वाले इस कार्यक्रम में पहले तीन दिन सरकारी संस्थान, स्कूल (मीड डे मील के बाद), आंगनबाड़ी केंद्र तथा प्रत्येक सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर बनाए गए बूथों पर दवा खिलाई जाएगी। इसके बाद लगातार 14 दिनों तक ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर घर घर जाकर इस दवा को लोगों को अपने सामने खिलाएगी।
डॉ कुमार ने बताया कि फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है, जो अपने मुंह में माइक्रोफाइलेरिया के लार्वा का वहन किए होते हैं। मच्छर को पूर्ण रूप से समाप्त करना मुश्किल है, इसलिए जरूरी है कि इससे बचने के लिए एहतियाती कदम उठाए जाएं। इसके लिए सर्वजन दवा सेवन के तहत ट्रिपल ड्रग थेरेपी की दवा खिलाई जाती है। इसके पहले दो दवा डीईसी और एल्वेंडाजोल ही खिलाई जाती थी। आइवरमेक्टिन को इस बार जिले के लिए नई दवा के रुप में जोड़ा गया है जो अन्य दवाओं के प्रभाव में और तेजी लाती है।
माइक्रोफाइलेरिया की दर 2.1
कार्यशाला के दौरान डब्ल्यूएचओ की जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ माधुरी देवराजू ने पीपीटी के माध्यम से फाइलेरिया के प्रसार, दुष्प्रभाव और फाइलेरिया के विभिन्न चरणों के बारे में विस्तार से बताया। डॉ देवराजू ने बताया कि जिले में इस सर्वजन दवा अभियान के पहले नाइट ब्लड सर्वे कराया गया था, जिसमें जिले में माइक्रोफाइलेरिया की दर 2.1 रही। यह आंकड़ा बेहद ही गंभीर है, जिसका एक उपाय सर्वजन दवा सेवन के तहत ट्रिीपल ड्रग थेरेपी की दवा का सेवन है।
सामने खानी है दवा
डॉ माधुरी देवराजू ने बताया कि सर्वजन दवा सेवन के तहत सबसे जरूरी है कि इस दवा को बांटना नहीं है बल्कि हरेक ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर को उसे अपने सामने ही खिलाना है। तीनों दवाओं में से एल्बेंडाजोल की गोली को हमेशा चबाकर खाना है।
प्रतिकूल प्रभाव पर घबराएं नहीं
सीएस डॉ चौधरी ने बताया कि ट्रिपल ड्रग थेरेपी के सेवन से कुछ लोगों में प्रतिकूल प्रभाव भी देखने को मिलते हैं, वह मतली, चक्कर, हल्की बुखार के रूप में भी हो सकते हैं। इन दुष्प्रभावों से घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। यह दुष्प्रभाव तभी होंगे जब आपके अंदर माइक्रोफाइलेरिया होंगे। प्रतिकूल प्रभाव से बचने के लिए प्रत्येक प्रखंड में रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया है। जिसमें चिकित्सक और एंबुलेंस हमेशा मौजूद होंगे। प्रत्येक ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर के पास रैपिड रिस्पांस टीम का नंबर मौजूद होगा।
डोज पोल के तहत खानी है दवा
कार्यशाला के दौरान भीबीडी कंसल्टेंट संतोष कुमार ने दवा खिलाने में इस्तेमाल किए जाने वाले डोज पोल के बारे में बताते हुए कहा कि दवा खिलाने के लिए एक डोज पोल का निर्माण किया गया है। इसमें लंबाई के अनुसार गोली की संख्या तय है। अगर किसी बच्चे की ऊंचाई 90 सेमी से कम है तो उन्हें आइवरमेक्टिन की गोली नहीं देनी है। वहीं दो साल से पांच साल तक के बच्चों को सिर्फ डीइसी और एल्बेंडाजोल की गोली ही दी जाएगी।
किसे नहीं खानी है दवा
डॉ माधुरी ने बताया कि यह दवा दो साल से कम उम्र के बच्चों, गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों, गर्भवती स्त्रियों, स्तनपान कराने वाली महिलाओं को नहीं खिलानी है। मौके पर सिविल सर्जन डॉ एसके चौधरी, सदर अस्पताल के हेल्थ मैनेजर, डब्ल्यूएचओ की जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ माधुरी देवराजू, भीबीडी कंसंल्टेट संतोष कुमार, पिरामल के प्रतिनिधि, पीसीआई डीसी मारुति नंदन समेत अन्य लोग मौजूद थे।