बेतिया। राष्ट्रीय यक्ष्मा (टीबी) रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अनुमंडलीय अस्पताल, बगहा में बगहा एवं रामनगर प्रखंड की चयनित आशा फैसिलिटेटरों का एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रशिक्षण एसटीएस-पप्पू कुमार, केएचपीटी जिला लीड-मेनका सिंह, सीसी-विकास कुमार ठाकुर ने दिया। इस दौरान एसटीएस-पप्पू कुमार ने बताया कि प्रशिक्षित फैसिलिटेटरों द्वारा घर-घर जाकर टीबी को लेकर लोगों को जागरूक किया जाएगा। वे लोग टीबी के लक्षणों वाले मरीजों के सैंपल लेने और उनको जागरूक करने का काम भी करेंगी।
आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से लोगों को किया जाएगा जागरूक
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ टीएन प्रसाद ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान शुरू करने की तैयारी में है। उन्होंने बताया कि 2025 तक जिले को यक्ष्मा मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम होगी। उन्होंने बताया कि हर आशा को प्रतिमाह कम से कम पांच टीबी के लक्षणों वाले मरीजों की जांच करानी है।
यक्ष्मा पदाधिकारी ने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो समय पर जांच व इलाज के अभाव में जानलेवा भी हो सकती है। मरीज के संपर्क में रहने वाले उसके परिजनों में भी टीबी के संक्रमण की संभावना प्रबल रहती है। दियारा इलाका होने के कारण लोगों में टीबी के प्रति जागरूकता की कमी है। जिसे आशा के माध्यम से दूर किया जाएगा। टीबी के लक्षणों वाले मरीजों में टीबी की पुष्टि होने पर उनके पारिवारिक सदस्यों को भी टीबी प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट (टीपीटी) दिया जाता है, ताकि परिवार के अन्य सदस्यों में यह बीमारी न फैले।
आशा को मिलेंगे 500 रुपये
केएचपीटी जिला लीड-मेनका सिंह ने बताया कि टीबी रोगी खोजी अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ताएं टीबी के लक्षणों वाले मरीजों को जांच के लिए पीएचसी रेफर करेंगी। रोग की पुष्टि होने पर उन्हें प्रथम सूचक के रूप में 500 रुपये की राशि भुगतान की जाती है। निश्चय पोर्टल पर मरीजों का डाटा अपलोड होते ही पूरा इलाज उनके घर पर ही डॉटस प्रोवाइडर के माध्यम से नि:शुल्क किया जाता है। मरीजों को इलाज अवधि में प्रतिमाह 500 रुपये निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत उनके बैंक खाता में दी जाती है।