मोतिहारी। जिला स्वास्थ्य समिति के तत्वावधान में सदर अस्पताल परिसर में राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत मोबाइल हेल्थ टीम का दो दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया है। प्रशिक्षण के सम्बंध में आरबीएसके जिला समन्वयक डॉ मनीष कुमार ने बताया कि आरबीएसके डॉक्टरों की टीम को 43 प्रकार की बीमारियों से ग्रसित बच्चों की पहचान के तरीकों को समझने व बच्चों के कार्ड बनाने, रजिस्टर मेंटेनेंस के साथ ही उन्हें रेफर करने के बारे में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
यह प्रशिक्षण जिले के पीएचसी के चयनित प्रशिणार्थियों को दिया जा रहा है। डॉ मनीष कुमार ने बताया कि प्रशिक्षण 20 से 28 फरवरी तक चलाया जाएगा। सदर अस्पताल परिसर में मंगलवार को आरबीएसके चिकित्सकों को डॉ खालिद अख्तर और डॉ एमके श्रीवास्तव द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का उद्देश्य
डॉ मनीष कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का उद्देश्य है- जन्म से लेकर 18 वर्ष तक के समस्यात्मक बच्चों की शुरुआती पहचान करना, जन्म के समय दोष,उनकी कमी, रोग, विकलांगता सहित विकास में देरी आदि की पहचान करना।
चार स्तर पर होती है स्क्रीनिंग
जिला समन्वयक डॉ मनीष कुमार ने बताया कि प्रथम स्तर पर मौजूदा चिकित्सा अधिकारियों, स्टाफ नर्सों और एएनएम के माध्यम से सभी प्रसव बिंदुओं पर प्रथम स्तर की स्क्रीनिंग की जा रही है। दूसरे स्तर पर 48 घंटे के बाद 6 सप्ताह की आयु तक आशा द्वारा एचबीएनसी पैकेज के तहत घर पर ही नवजात शिशुओं की जांच की जाती है। तीसरे स्तर पर आंगनबाड़ी केंद्रों में 6 सप्ताह से 6 वर्ष के बच्चों और चौथे स्तर पर स्कूल में 6-18 वर्ष के बच्चों की समर्पित
मोबाइल स्वास्थ्य टीमों द्वारा आउटरीच स्क्रीनिंग की जाती है। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम 2013 से ही पूरे देश में लागू है। वहीं 2015 से बिहार में इसकी शुरुआत की गई है।मौके पर जिला समन्वयक डॉ मनीष कुमार, डॉ खालिद अख्तर, डॉ एमके श्रीवास्तव, डॉ उमाशंकर गुप्ता, डॉ विजय कुमार गुप्ता सहित अन्य लोग शामिल थे।