मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य भगवत्प्राप्ति करना : सुदीक्षा कृष्णा

-शक्ति द्वार के समीप उदासीनमठ परिसर में चल रहें सातदिवसीय श्रीमदभागवत कथा से भक्तिमय हुआ महौल
डुुमरांव. मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य भगवत्प्राप्ति करना. मनुष्य और पशु में यही अंतर है कि वो हमारी तरह धर्म के पथ पर नहीं चल सकते. ’’धर्मो हि तेषां अधिको विशेषो’’ उक्त बातें नगर के जंगल बाजार शक्ति द्वार के समीप उदासीनमठ परिसर में चल रहें सातदिवसीय श्रीमदभागवत कथा के पांचवे दिन कथा व्यास सुदीक्षा कृष्णा जी महाराज ने कहीं.
उन्होने कहां कि पशु एवं अन्य जीव में भी चेतना तो होता है, परंतु उनमे सही गलत का पहचान नहीं होता. जिसे हम विवेक कहते है. सद-असद विवेचनी बुद्धि सः पण्डितः. जो धर्म को समझता है, जो सही गलत को जानके है, जो पाप-पुण्य के विवेचक है वहीं पण्डित है, वो चाहे किसी भी वर्ण से हो.
उस विवेक की प्राप्ति सतसंग से ही होती है. इसलिए मानव जीवन को धन्य बनाने के लिए संतो, सदगुरू देव की, ईश्वर आराधना और बिना आश्रय के नहीं हो सकता. इसलिए भगवत नाम भगवदाश्रय ही मानव मात्र के कल्याण के साधन है.
श्रीमदभागवत कथा के पांचवें दिन विभिन्न महापुरुषों के चरित्रों को झांकी के माध्यम से प्रस्तुत किया गया. इसमें ध्रुव चरित्र, पहलाद चरित्र, अजामिल प्रसंग और राम व कृष्ण के चरित्रों का वर्णन किया गया. इन कथाओं के माध्यम से श्रद्धालुओं को भगवान के प्रति भक्ति, धर्म, और सच्चे मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी गई. ये चरित्र भगवान की कृपा और महानता का प्रतीक हैं, जो भक्तों के जीवन में श्रद्धा और सच्चे मार्ग की दिशा को उजागर करते हैं.
कथा के दौरान धु्रव चरित्र, पहलाद चरित्र, अजामित प्रसंग तथा राम व कृष्ण के चरित्रों का झांकी के माध्यम से दर्शन कराया गया. मौके पर आयोजन समिति अध्यक्ष नप उप चेयरमैन विकास ठाकुर, उपाध्यक्ष बब्लू जायसवाल, सचिव अरविंद श्रीवास्तव, उप सचिव विनोद केशरी,
कोषाध्यक्ष कन्हैया तिवारी, नप चेयरमैन प्रतिनिधि सुमित गुप्ता, बिहारी यादव, संयोजक मुन्ना जी सहित मनीष मिश्रा, राजेेश यादव, मनीष यादव, अमीत मिश्रा, देवेंद्र सिंह, सोनू ठाकुर, सुडु प्रसाद, मो एकराम, रामजी प्रसाद, सुनील मिश्रा, शशि कुमार की सराहनीय भूमिका रहीं.
