शिवहर। सुरक्षित मातृत्व के सपने को साकार करने में जिले का मातृ-शिशु अस्पताल सफल हो रहा है। अस्पताल गरीब परिवार की महिलाओं का प्रसव कराकर सुरक्षित मातृत्व का सुख दे रहा है। इसी वजह से जिले के गरीब परिवारों का प्रसव के लिए मातृ-शिशु अस्पताल पर भरोसा बढ़ा है। मातृ शिशु अस्पताल में हर महीने सैकड़ों बच्चों की किलकारी गूंज रही हैं । हर रोज दर्जनों की संख्या में महिलाएं प्रसव पूर्व जांच और प्रसव के लिए पहुंच रही हैं। अस्पताल की लेबर रूम इंचार्ज अनिता कुमारी ने बताया कि सदर अस्पताल में महिलाओं को वो सभी सुविधाएं मिल रही हैं, जो किसी निजी अस्पताल में हजारों रुपए खर्च करने के बाद मिलती है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों का सकारात्मक असर दिख रहा है।अस्पताल की लेबर रूम इंचार्ज अनिता कुमारी ने बताया कि मातृ-शिशु अस्पताल में प्रसव की तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं। यही वजह है कि इस वर्ष जनवरी से 20 दिसंबर तक इस अस्पताल में 3 हजार 275 बच्चों की किलकारियां गूंजी।
विषम परिस्थितियों में भी प्रसव की संख्या कम नहीं हुई
स्वास्थ्य विभाग का संस्थागत प्रसव पर जोर है। आशा द्वारा लगातार गांवों में जागरूकता अभियान चलाया जाता है। इसी का परिणाम है कि इस वर्ष जनवरी में 335, फरवरी में 375, मार्च में 308, अप्रैल में 253, मई में 213, जून में 166, जुलाई में 239, अगस्त में 311, सितंबर में 297, अक्टूबर में 282, नवम्बर में 279 और 20 दिसंबर तक 197 बच्चे जन्मे। अनीता कुमारी ने बताया कि कोरोना की विषम परिस्थितियों में भी मातृ-शिशु अस्पताल में बच्चों की किलकारियां खूब गूंजी। कोरोना काल में सुरक्षित प्रसव कराना चुनौती था। लेकिन सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करते हुए प्रसव कराया गया। यहां 24 घंटे चिकित्सक और कर्मी ड्यूटी पर मौजूद रहते हैं।
परिवार नियोजन के प्रति किया जाता है जागरूक
अनिता कुमारी ने बताया कि यहां प्रशिक्षित और सक्षम स्वास्थ्यकर्मियों की टीम के पर्यवेक्षण में महिलाओं का प्रसव होता है। प्रसव संबंधी देखरेख कुशल चिकित्सक व प्रशिक्षित स्टाफ करती हैं। निःशुल्क दवाइयों और उपकरणों की मौजूदगी तथा बच्चे की जटिलता पर तुरंत चिकित्सीय सुविधा समेत अन्य सभी सुविधाएं यहाँ मौजूद हैं। इसके अलावा जन्म लिए बच्चों को तत्काल बीसीजी, हेपेटाइटिस और ओपीवी का टीका लगा दिया जाता है। यहां प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) की भी व्यवस्था है। प्रसव के लिए आई महिलाओं को परिवार नियोजन के प्रति भी जागरूक किया जाता है।