बेतिया : मंडल कारा बेतिया में कैदियों की हुई टीबी की जांच
– महिला कैदियों को टीबी से बचाव को किया जागरूक
– हर महीने की 5 तारीख को होती है जाँच
बेतिया। स्वास्थ्य विभाग के निर्देश के अनुसार कारागार में कैदियों के स्वास्थ्य सम्बंधित परेशानी को देखते हुए समय समय पर मेडिकल कैंप का आयोजन करने की सलाह दी गईं है। इसके आलोक में कैदियों की टीबी, एचआईवी, शुगर, बीपी व अन्य कई तरह की जाँच की जा रही है। साथ ही उन्हें बीमारियों की पहचान हेतु लक्षण व बचाव हेतु उपाय बताए जा रहे हैं। ताकि कैदी सुरक्षित रहें।
गुरुवार को मंडल कारा बेतिया में कैदियों के बीच टीबी जांच शिविर का आयोजन कर 60 कैदियों की जांच हुई 13 कैदियों का सैंपल कलेक्शन किया गया। इस दौरान जिला यक्ष्मा केंद्र के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ चेतन जायसवाल ने बताया कि विभागीय निर्देश के आलोक में हर महीने की 5 तारीख़ को मंडल कारा में कैदियों के बीच टीबी बीमारी की जांच की जाती है। ताकि कैदियों के शरीर में संभावित एवं छिपे हुए टीबी का ससमय पता लगाकर स्क्रीनिंग कर उन्हें बेहतर उपचार प्रदान किया जा सके।
महिला कैदियों को टीबी से बचाव को किया जागरूक
केएचपीटी की जिला लीड मेनका सिंह ने महिला कैदियों को टीबी के बारे में विस्तृत जानकारी दी। बताया कि अगर किसी व्यक्ति को लगातार दो हफ्तों से ज्यादा खांसी, बुखार,बलग़म में खून आना,वजन में कमी,भूख न लगने की शिकायत हो तो उन्हें सरकारी अस्पताल में जाकर अपनी जाँच कराने की सलाह दी जाती है। मेनका ने बताया कि सामुदायिक जागरूकता से ही टीबी को समाज से पूरी तरह समाप्त कर सकते हैं।
2025 तक टीबी उन्मूलन का है लक्ष्य
जिले के सिविल सर्जन डॉ श्रीकांत दुबे ने कहा कि टीबी एक गंभीर संचारी रोग है। जिसका समय पर इलाज न होने से एक दूसरे से संक्रमण बढ़ने की संभावना बनी रहती है। जिले को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए शिक्षित वर्ग व समाजसेवी संस्थाओं को आगे आकर लोगों को जागरूक करना होगा। उन्होंने बताया कि जेल में बंद कैदियों की जांच इसी क्रम में एक अच्छी पहल है। इस पहल के जरिए जेल में बंद कैदियों की भी टीबी की जाँच व पहचान सुनिश्चित हो सकेगी।
मौके पर एसटीएलएस राजीव कुमार, एसटीएस प्रभुनाथ राम, जिला यक्ष्मा केंद्र के डीईओ सूरज कुमार, अशोक कुमार आदि उपस्थित थे।