पटना : बीमार नवजातों को एसएनसीयू दे रहा सांसे
विविध प्राण रक्षक उपकरण एवं दवाएं हैं उपलब्ध
रेफरल स्थानों पर रखी जा रही नजर
पटना। राज्य में जीरो से 28 दिन तक के नवजातों को सांस देने में एसएनसीयू काफी मददगार साबित हो रहा है। पिछले एक वर्ष के दौरान राज्य के एसएनसीयू में नवजातों की देख रेख और सेवा की गुणवत्ता के कारण मृत्यु दर 5 से 3 पर आ गयी है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार स्वास्थ्य संस्थानों में नवजातों की मृत्यु दर 5 से कम होनी चाहिए। इस बात में राज्य के आंकड़े सुकून देने वाले हैं।
एसएनसीयू में नवजातों की उचित देखरेख तथा उनके उपचार में मानव संसाधन एवं विशेषज्ञ चिकित्सकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इसके मद्देनजर राज्य के 45 एसएनसीयू में लगभग 150 चिकित्सक पदस्थापित हैं। एसआरएस 2020 के अनुसार राज्य में नवजातों की मृत्यु दर प्रति एक हजार जीवित बच्चों में 21 है। वहीं एक हफ्ते तक के नवजातों में मृत्यु दर प्रति एक हजार 16 है।
चार बीमारियों के उपचार पर दिया जा रहा विशेष बल
एसएनसीयू की गुणवत्ता और प्रमाणिकता को बनाने के लिए एसएनसीयू से उच्च स्वास्थ्य संस्थानों में रेफरल केस को कम से कम रखने की जरूरत होती है। इसे ध्यान में रखते हुए हाल ही में हुए विभागीय रिव्यू के दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने भी एसएनसीयू के तहत रेफरल प्वाइंट को 10 प्रतिशत से कम करने का भी लक्ष्य रखा है। राज्य में संचालित एसएनसीयू में चार बीमारियों के उपचार पर विशेष बल दिया जा रहा है।
जिनमें एक्नेम्सिया, प्री मेच्योर बर्थ, कम वजनी बच्चे और हाइपोथर्मिया है। नवजात की बीमारियों में सहायक उपकरणों की भी आवश्यकता पड़ती है, जिसके निराकरण के लिए रेडिएंट वार्मर, फोटोथेरेपी मशीन, अम्बु बैग, ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम, सक्शन मशीन, सी-पैप, ऑक्सीमीटर जैसे मशीन लगायी गयी है, ताकि किसी भी विपरीत परिस्थिति से निपटा जा सके।
मॉनिटरिंग एवं फॉलोअप पर दिया जा रहा ध्यान
किसी भी कार्यक्रम की सफलता मॉनिटरिंग एवं उसके निरंतर फॉलोअप पर निर्भर करती है। आंकड़ों का सत्यापन और निरंतरता भी कार्यक्रम संचालन के लिए महत्वपूर्ण होती है। इसे ध्यान में रखते हुए जिलों से एसएनसीयू में भर्ती बच्चों की संख्या, उपलब्ध बेड पर नवजातों की भर्ती और लक्ष्य के अनुरूप नवजातों के डिस्चार्ज रेट पर भी लगातार ध्यान दिया जा रहा है। नवजातों के मृत्यु दर में दो प्रतिशत की कमी भी सतत मॉनिटरिंग एवं अनुश्रवण का ही प्रतिफल है।