पटना : बदलाव के सूत्रधार सकारात्मक पहलकर्ताओं को किया गया सम्मानित

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पटना: सहयोगी संस्था ने इफ्तिदा नेटवर्क के बैनर तले शुक्रवार को दानापुर के हथियाकांध पंचायत भवन में 6 सकारात्मक पहलकर्ताओं को सम्मानित किया. जिसमें लक्ष्मी देवी(सास), अफजल आलम (पति), राजू दास (विकलांग पति), जशोदा देवी (मां), पूनम देवी (एकल महिला), एवं पप्पू साह (पति) शामिल थे.

महिला सशक्तिकरण की चुनौतियों में शामिल लिंग आधारित भेदभाव एवं घरेलू हिंसा पर लोगों को जागरूक करने एवं इसमें अपनी भूमिका अदा करने के लिए सम्मान दिया गया.  सामाजिक बदलाव की बुनियाद व्यक्तिगत पहल से ही मजबूत होती है. विशेषकर जब बात महिला सशक्तिकरण से जुड़ी हो. इस दिशा में सहयोगी संस्था का प्रयास सराहनीय है. समुदाय से सकारात्मक पहलकर्ताओं की पहचान कर उन्हें प्रोत्सहित करना महिला सशक्तिकरण की चुनौतियों को खत्म करने में काफ़ी सहयोगी साबित होगा. 

महिला सशक्तिकरण के लिए विचारधारा में बदलाव जरुरी

सहयोगी की निदेशिका रजनी जी ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए व्यक्तिगत विचारधारा में बदलाव जरुरी है. इसके लिए समुदाय से लोगों को आगे आना होगा. समुदाय के लोग जब लिंग आधारित भेदभाव एवं घरेलू हिंसा के कारणों से अधिक अवगत होते हैं. इसके लिए सहयोगी संस्था ने सकारात्मक पहलकर्ताओं को चिन्हित करने से उनका क्षमतावर्धन भी ध्यान देती है. बदलाव एक कड़ी की तरह होती है जो एक व्यक्ति से शुरू होकर पूरे समुदाय को प्रभावित करने की क्षमता रखता है. इस उद्देश्य की प्राप्ति में सकारात्मक पहलकर्ताओं की भूमिका महत्वपूर्ण होने के साथ प्रभावी भी साबित हुयी है. 

पुरुषों की बराबर भागीदारी से बदल सकती है तस्वीर

रजनी ने बताया कि महिला को मजबूत करने के लिए पुरुषों की भागीदारी सबसे जरुरी है. महिला सशक्तिकरण की सोच घर से ही शुरू होती है. घर में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में समान अवसर देने की बात हो या महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित करने की सोच हो. दोनों ही परिस्थियों में पुरुषों को आगे बढ़कर महिलाओं को सहयोग प्रदान करने की जरूरत है. पुरुषों की जागरूकता से ही महिला सशक्तिकरण की सड़क तैयार हो सकती है एवं महिला को घर से लेकर समुदाय तक अपनी पहचान बनाने में मदद मिल सकती है. 

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समुदाय की बदलती सोच एक सकारात्मक संकेत: 

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हथियाकांध पंचायत के मुखिया रविन्द्र राय ने बताया कि समुदाय में अब पुरुषों की सोच बदल रही है. लोगों में लिंग आधारित भेदभाव एवं घरेलू हिंसा के प्रति संवेदनशीलता बढ़ी है. उन्होंने कहा कि उनकी खुद की कोशिश रहती है कि लड़कियां तथा महिला जागरूक हो अपने अधिकार समझें. बहुत अच्छा लगता है जब सहयोगी जैसी संस्था जमीनी स्तर पर आकर महिला सशक्तिकरण की आवाज को बुलंद करती है.

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