– लक्षण व बचाव के बताए गए उपाय
– स्वास्थ्य विभाग के साथ केएचपीटी मिलकर चला रहा जागरूकता अभियान
बेतिया। पश्चिमी चंपारण जिले के मझौलिया प्रखंड के गुजरवलिया ग्राम में रात्रि चौपाल लगाकर टीबी के प्रति जागरूकता अभियान चलाया गया। इस अभियान में केएचपीटी, बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग और जीविका कर्मियों के द्वारा चौपाल लगाकर टीबी के लक्षण व बचाव के उपाय बताए गए। कार्यक्रम में पंचायत के जनप्रतिनिधि,एसटीएस, जीविका, के सहयोग से प्रवासियों को टीबी बीमारी के प्रति जागरूक किया गया।
इस दौरान सीएचओ विभांशु कुमार ने टीबी के लक्षण के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक खांसी, बलगम के साथ खून का आना, शाम को बुखार आना या वजन कम होने की शिकायत हो तो उसे तुरंत नजदीक के सरकारी अस्पताल में ले जाकर जांच कराएं, क्योकि ये टीबी के लक्षण हैं।
उन्होंने बताया कि सभी सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच और इलाज पूरी तरह मुफ्त है। वहीं केएचपीटी के कम्युनिटी कोऑर्डिनेटर डॉ घनश्याम ने बताया कि टीबी की पुष्ठी हो जाने पर टीबी मरीज को सरकार के द्वारा निःशुल्क दवा के साथ साथ हर माह पांच सौ रुपये की राशि पोषण सहायता योजना के तहत पौष्टिक भोजन के लिए दी जाती है।
टीबी के लक्षण वाले लोगों को किया चिह्नित
जीविका की प्रतिनिधि सरिता कुमारी ने कहा कि जो भी प्रवासी लोग हैं अगर उनकी टीबी संबंधित कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत अपनी जांच निश्चित रूप से करा लें। उन्होंने कहा कि सामुदायिक जागरूकता से ही टीबी बीमारी को समाज से मुक्त कर सकते हैं। कार्यक्रम के दौरान लक्षण वाले लोगों को सरकारी अस्पताल में जांच के लिए रेफर भी किया गया।
वहीं बताया गया कि टीबी की पूरा कोर्स नहीं करने पर एमडीआर टीबी होने का खतरा बना रहता है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों की देखरेख में दवा खाने से मरीज पूरी तरह ठीक हो जाएंगे । मौके पर आशा कार्यकर्ताओं में विनीता देवी, रेखा देवी, रीमा कुमारी, बशिष्ठ तिवारी सहित दर्जनों ग्रामीण उपस्थित रहे।
टीबी से बचने के लिए सावधानी जरूरी
– पौष्टिकता से भरपूर खान-पान रखकर अपनी इम्युनिटी को बढ़िया रखें।
– ज्यादा भीड़-भाड़ वाली गंदी जगहों पर नहीं रहें।
– अपने शरीर तथा रहने के स्थान की साफ सफाई रखें।
– टीबी के मरीज के अधिक पास जाने से बचें।
– मरीज खांसते और छींकते वक्त मुंह पर मास्क या रुमाल रखें।
– रुमाल और कपड़ों को गर्म पानी में धुलें।
– बच्चों को मरीज से दूर रखें, क्योंकि उनमें खतरा अधिक रहता है।
– मरीज का जूठा ना खाएं।