बेतिया : ठंढी रात में भी जागरूकता के साथ हो रही है लोगों के माइक्रो फाइलेरिया की जांच
18 प्रखंडों के सेंटिनल साइट पर जाँच कार्य पूरा, अब रैंडम साइट पर होगी जाँच
नाइट ब्लड सर्वे में जनप्रतिनिधियों का भी मिल रहा है साथ
बेतिया। अँधेरी रात और बढ़ती ठंड के बीच जिले के 18 प्रखंडों के सेंटिनल साइट पर लोगों को माइक्रो फाइलेरिया की जांच उत्साह के साथ कराते हुए देखा जा रहा है। वहीं जिले के रामनगर, मँझरिया, नरकटियागंज, पिपरासी, बेतिया, नौतन में महिलाओं के साथ बुजुर्गो को भी रात्रि 8:30 से 12 बजे के बीच फाइलेरिया के परजीवी की जाँच कराते देखा जा रहा है।
जिले के सिविल सर्जन डॉ श्रीकांत दुबे ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे की सफलता हेतु स्वास्थ्य विभाग व सहयोगी संस्थाओं के द्वारा लगातार निर्वाचित जनप्रतिनिधियों एवं पदाधिकारियों /कर्मियों (मुखिया, पंचायत सचिव, पंचायत कार्यपालक सहायक, विकास मित्र, महिला पर्यवेक्षिका, आवास सहाय, हल्का कर्मचारी, प्रधानाचार्य , रोजगार सहायक, किसान सलाहकार) से नाइट ब्लड
सर्वे के साथ ही 10 फ़रवरी से शुरुआत होने वाले सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम में सहयोग करने हेतु सम्पर्क स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे में जनप्रतिनिधियों का सहयोग मिल रहा है। जिसके कारण भीषण ठंड, व अँधेरी रात में भी लोगों को गर्म वस्त्र पहने भीड़भाड़ के साथ जाँच केंद्र पर देखा जा रहा है।
5400 लोगों की हो चुकी है रक्त की जाँच
भीबीडीएस प्रकाश कुमार व फाइलेरिया इंचार्ज राजकुमार शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि हमलोग रात्रि में नाइट ब्लड सर्वे के कार्यों की मॉनिटरिंग के साथ सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिले के 18 प्रखंडों के सेंटिनल साइट पर 5400 लोगों के माइक्रो फाइलेरिया की जांच की जा चुकी है। वहीं एलटी के द्वारा 700 लोगों की माईक्रोस्कॉपी भी की जा चुकी है।
जिनमें 11 फाइलेरिया मरीज चिह्नित किए गए हैं। बाकी लोगों की माईक्रोस्कॉपी कार्य भी तीव्र गति से हो रही है। मौके पर पीसीआई के डीसी बिपिन कुमार व पिरामल के प्रतिनिधि श्यामसुन्दर कुमार ने बताया कि आज से 29 दिसम्बर तक नाइट ब्लड सर्वे के दौरान रैंडम साइटों पर लोगों के रक्त के सैम्पल लिए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि पॉजिटिव लोगों को फाइलेरिया के उपचार हेतु स्थानीय पीएचसी के द्वारा आशा, आशा फैसिलिटेटर के सहयोग से 12 दिनों की दवा मरीजों के घर पहुंचाई जा रही है। उन्हें दवा खिलाकर उनके शरीर में फाइलेरिया के बढ़ते प्रभाव को रोका जा रहा है। वहीं फाइलेरिया से ग्रसित गंभीर मरीजों को पीएचसी पर बुलाकर एमएमडीपी किट के साथ अन्य दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।