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बिहार दिवस पर “अप्पन बिहार, निपुण बिहार” स्टॉल ने शिक्षा के क्षेत्र में रचा इतिहास, पपेट शो बना आकर्षण का केंद्र

पटना। बिहार दिवस 2025 पर आयोजित शिक्षा पवेलियन में “अप्पन बिहार, निपुण बिहार” स्टॉल ने सभी आगंतुकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। यह स्टॉल निपुण बिहार पहल के अंतर्गत प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता, नवाचार और समावेशिता का जीवंत उदाहरण बना। इस विशेष अवसर पर स्टॉल में उपस्थित रहकर मैंने अपने पपेट के माध्यम से शैक्षिक संदेश प्रस्तुत किया और अपने प्रखंड, जिला, बिहार तथा निपुण टीम के साथ जुड़कर गर्व का अनुभव किया। मुझे गर्व है कि इस कार्य के लिए अपर मुख्य सचिव महोदय ने मुझे व्यक्तिगत रूप से शुभकामनाएं दी थीं।

स्टॉल को एक जीवंत और रोचक प्राथमिक कक्षा के रूप में सजाया गया था, जिसमें रंग-बिरंगे पैटर्न, लटकती हुई संख्याएं और अक्षर बच्चों के आकर्षण का केंद्र बने। यहां बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी शिक्षा के नए रूपों को समझने और अनुभव करने का अवसर मिला। स्टॉल में बच्चों के अधिगम को रोचक बनाने के लिए कई नवाचारपूर्ण गतिविधियाँ प्रस्तुत की गईं, जिनमें पपेट शो, माक्स पपेट और अन्य शिक्षण तकनीकें प्रमुख रहीं।

पपेट शो, इस स्टॉल की सबसे प्रमुख और आकर्षक गतिविधि रही। इस शो के माध्यम से शिक्षा को सरल, संवादात्मक और बाल-अनुकूल रूप में प्रस्तुत किया गया। बच्चों के साथ-साथ बड़े भी इस शो से जुड़कर आनंदित हुए और यह समझ सके कि कैसे पारंपरिक माध्यमों को नवाचार के साथ जोड़कर बच्चों के लिए शिक्षा को प्रभावी बनाया जा सकता है।

इंटरैक्टिव टीचिंग लर्निंग मटेरियल (TLM) भी स्टॉल की एक विशेषता रही। स्टॉल में ब्लॉक्स, शब्द गुब्बारे, पत्थर, टायर जैसी सामग्रियों से तैयार की गई टीएलएम प्रदर्शित की गईं। इनमें शामिल पारंपरिक और आधुनिक शिक्षण विधियों ने यह सिद्ध किया कि सीमित संसाधनों में भी गुणवत्ता युक्त शिक्षा संभव है। लोक TLM कोना ने स्थानीय संसाधनों के उपयोग को उजागर किया, जिससे शिक्षा का लोकाभिमुख स्वरूप सामने आया।

एडटेक (EdTech) की भूमिका को उजागर करने हेतु एक विशेष टीवी स्पेस स्थापित किया गया था, जिसमें डिजिटल शिक्षण सामग्री, एनिमेटेड पाठ और घर व विद्यालय में तकनीक के माध्यम से अधिगम को प्रभावी बनाने के प्रयासों को दिखाया गया। यह खंड दर्शाता है कि किस प्रकार तकनीक शिक्षा को सहज, सुलभ और रुचिकर बना रही है।

प्रशंसा वृक्ष और संकल्प बोर्ड जैसे नवाचारों ने आगंतुकों के मन को छू लिया। प्रशंसा वृक्ष पर बच्चों की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया, जिससे अन्य बच्चों को प्रेरणा मिली। वहीं, संकल्प बोर्ड ने आगंतुकों को निपुण बिहार पहल के साथ जुड़ने का अवसर दिया, जहाँ उन्होंने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए सहयोग देने की प्रतिज्ञा ली।

स्टॉल में लाइव वर्कबुक्स और शिक्षक मार्गदर्शिकाएं भी प्रदर्शित की गईं, जिनके माध्यम से आगंतुकों को निपुण बिहार द्वारा अपनाई गई पाठ्यचर्या, शिक्षण तकनीकों एवं मूल्यांकन प्रक्रियाओं की गहराई से जानकारी प्राप्त हुई। यह अनुभव न केवल शिक्षकों के लिए उपयोगी रहा, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में रुचि रखने वाले आमजन को भी प्रेरित करने वाला रहा।

इस स्टॉल का समग्र वातावरण अत्यंत प्रेरक और सृजनात्मक रहा। छत पर लटकते अक्षर और संख्याओं ने एक ऊर्जावान माहौल बनाया, जिसमें आगंतुकों को लगा कि वे वास्तव में एक कक्षा में हैं। इस प्रकार का अभिनव प्रयास बिहार के बदलते शैक्षिक परिदृश्य की जीवंत झलक पेश करता है।

“अप्पन बिहार, निपुण बिहार” स्टॉल, बिहार दिवस 2025 पर निपुण बिहार पहल की सफलता और प्राथमिक शिक्षा में किए जा रहे नवाचारों का उत्कृष्ट प्रदर्शन बना। यह स्टॉल न केवल शिक्षकों, विद्यार्थियों और अभिभावकों के लिए प्रेरणास्रोत बना, बल्कि यह भी दर्शाया कि बिहार अब शिक्षा की दिशा में ठोस कदम बढ़ा रहा है।

यह आयोजन निश्चित रूप से एक ऐतिहासिक क्षण बनकर उभरा, जहाँ शिक्षा के क्षेत्र में बिहार की प्रतिबद्धता और समर्पण को राष्ट्रीय पटल पर मजबूती से प्रस्तुत किया गया। पपेट शो के माध्यम से इस पहल का हिस्सा बनना मेरे लिए गर्व की बात रही और मैं आशा करता/करती हूँ कि इस तरह के प्रयास शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध होंगे। पूजा बोस, शिक्षिका, प्राथमिक विद्यालय जनकबाग कुल्लाखास कस्बा, पूर्णिया ने बताया कि बिहार दिवस पर गांधी मैदान में आयोजित कार्यक्रम से बहुत कुछ सिखने को मिला है।

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