चमकी बुखार की रोकथाम को लेकर जागरूकता जरूरी
एईएस के स्वास्थ्य प्रबंधन में कोताही बर्दास्त नहीं
मोतिहारी। जिला समन्वय समिति की बैठक जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समाहरणालय परिसर स्थित राधाकृष्णन भवन में आयोजित की गईं। बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने उपस्थित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीयों के साथ अन्य विभागों के पदाधिकारीयों को समन्वय कर चमकी बुखार की रोकथाम को लेकर आमजनों को जागरूक करने के साथ ही अलर्ट रहने का निर्देश दिया।
उन्होंने बताया कि गर्मियों में एईएस/जेई के मामले सामने आते है, ऐसे में इसकी रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग, आईसीडीएस, जीविका, शिक्षा विभाग द्वारा जागरूकता फैलाना बेहद आवश्यक है। उन्होंने संध्या चौपाल लगाने का निर्देश दिया, साथ ही सभी पीएचसी, अनुमण्डलीय अस्पताल में चिकित्सकों के साथ ही दवा, बेड, एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। वहीं मौके पर सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ श्रवण कुमार पासवान, डीएस डॉ अवधेश कुमार ने जिलाधिकारी को एईएस के इलाज व लक्षन के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
मार्च से लेकर जून तक एईएस का खतरा ज्यादातर रहता है
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ श्रवण कुमार पासवान ने जिलाधिकारी को बताया की मार्च से लेकर जून तक एईएस का खतरा ज्यादातर बरकरार रहता है। एईएस से लड़ने के लिए स्वास्थ्य केंद्रों में तैयारियां की जा रही हैं। जिले की जीविका दीदियों, आशा फैसिलिटेटरों, नर्सो को समय समय पर एईएस से सम्बंधित प्रशिक्षण कराया जा रहा है व आवश्यक जानकारी दी जा रही हैं।
डॉ पासवान ने कहा बच्चों को एईएस से बचाने के लिए माता-पिता को शिशु के स्वास्थ्य के लिए अलर्ट रहना चाहिए। समय-समय पर देखभाल करते रहना चाहिए। स्वस्थ्य बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए। साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को मां का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है।
चमकी से बचाव के उपाय
-चमकी बुखार से बच्चों को बचाने के लिऐ बच्चों को रात में सोने से पहले जरूर खाना खिलाए।
-सुबह उठते ही बच्चों को भी जगाकर देखें, कहीं बेहोशी या चमक तो नहीं। बेहोशी या चमक दिखते ही तुरंत एंबुलेंस या नजदीकी गाड़ी से सरकारी अस्पताल ले जाए।
-तेज धुप से दुर रखे।
-अधिक से अधिक पानी, ओआरएस अथवा नींबू-पानी-चीनी का घोल पिलाएं।
-हल्का साधारण खाना खिलाएं, बच्चो को जंक-फुड से दुर रखे।
-खाली पेट फल और कच्ची लीची ना खिलाएं।
-रात को खाने के बाद थोड़ा मिठा जरूर खिलाएं।
-सड़े-गले फल का सेवन ना कराएं, ताजा फल ही खिलाएं।
-बच्चो को दिन में दो बार स्नान कराएं।
-घर के आसपास पानी जमा न होने दे। रात को सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करे।
बैठक में सिविल सर्जन, एसीएमओ, डीएस, वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी, आईसीडीएस डीपीओ, डीसीएम, जिला जन सम्पर्क पदाधिकारी, पिरामल डीएल, सिफार डीसी, भीडीसीओ व अन्य विभागों के पदाधिकारी उपस्थित थे।