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बेतिया : फाइलेरिया मरीजों को चिह्नित करने को होगी नाइट ब्लड सर्वे की शुरुआत 

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माइक्रो फाइलेरिया दर 1 प्रतिशत या अधिक होने पर चलेगा सर्वजन दवा सेवन अभियान 

रात 8 से 12 बजे के बीच होगी रक्त की जाँच, प्रत्येक साइट से 300 सैंपल लिए जाएंगे 

बेतिया। जिले में फाइलेरिया रोग के उन्मूलन एवं संभावित मरीजों की पहचान के लिए विभागीय स्तर पर तैयारी की जा रही है। चिह्नित साइटों पर स्वास्थ्यकर्मियों की टीम द्वारा नाइट ब्लड सर्वे अभियान को संचालित करने के पूर्व राज्य एवं जिला स्तर पर लैब टेक्नीशियन का प्रशिक्षण कराया जाएगा।

इस सम्बन्ध में जिले के डीभीडीसीओ डॉ हरेंद्र कुमार ने बताया कि चयनित प्रखंडों के पीएचसी में 3 नये साइट यथा दो स्थाई एवं एक अस्थाई साइट का चयन करते हुये प्रत्येक साइट से 300-300 कुल 900 स्लाइड का संग्रहण करना है।

नाइट ब्लड सर्वे कार्यक्रम के सफल संचालन एवं क्रियान्वयन हेतु प्रत्येक साइट पर अलग अलग तीन दलों का गठन किया जाना है। अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, फाइलेरिया के निर्देशानुसार प्रत्येक दल में चार स्वास्थ्यकर्मी होना आवश्यक है।

सभी दलों में एक-एक एलटी होना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि जाँच स्थल पर बीसीएम, बीएचएम, सीएचओ,  जीएनएम, भीबीडीएस कैंप इंचार्ज एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी रहेंगे। साथ ही संबंधित क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता, ऑगनवाड़ी, सेविका मोबिलाइजर के रूप में कार्य करेंगी। 

रात के 08 से 12 बजे तक लिए जाते हैं रक्त के नमूने

जिला फाइलेरिया इंचार्ज राजकुमार शर्मा व भीबीडीएस प्रकाश कुमार ने बताया कि इस अभियान में रक्त के नमूने रात के 08  से लेकर 12 बजे तक लिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि रात में सैंपल लेने का मुख्य कारण है कि इस समय शरीर में फाइलेरिया के परजीवी ज्यादा एक्टिव होते हैं।

ब्लड सैंपल कलेक्शन के बाद 24 घंटे के अन्दर स्टैनिंग की प्रक्रिया को करा लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जाँच के दौरान माइक्रो फाइलेरिया दर 1 प्रतिशत या अधिक होने पर सर्वजन दवा सेवन अभियान की शुरुआत की जाएगी। जिसमें 2 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को अल्बेंडाजोल एवं डीईसी की गोली आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व स्वास्थ्यकर्मियों की देखरेख में खिलाई जाएगी। 

मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है फाइलेरिया

सिविल सर्जन डॉ श्रीकांत दुबे ने बताया कि फाइलेरिया एक परजीवी जनित रोग है। जो मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर फाइलेरिया के लक्षण शुरू में स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। इसके लक्षण आने में कभी कभी सालों लग जाते है।

प्रायः फाइलेरिया मरीजों में बुखार, बदन में खुजली व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथीपांव और अंडकोषों की सूजन, फाइलेरिया के लक्षण हैं। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे-धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इससे बचाव के लिए विभाग द्वारा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम संचालित किया जाता है।

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