सीतामढ़ी। फाइलेरिया या हाथी पांव रोग से बचाने के लिए जिले में फाइलेरिया रोग उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जाएगा। इसके तहत नवम्बर के अंतिम सप्ताह से जिले भर के लोगों को फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलायी जायेंगी। जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. रवीन्द्र कुमार यादव ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग फाइलेरिया उन्मूलन के लिए प्रतिबद्धता के साथ हर स्तर पर सार्थक प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि हाथी पांव के नाम से जाना जाने वाला रोग फाइलेरिया के उन्मूलन के लिये शुरू होने वाले एमडीए के दौरान सभी योग्य व्यक्ति दवा का सेवन करें, जिससे जिला कालाजार की तरह फाइलेरिया से भी मुक्त हो सके।
दो प्रकार की दवा खिलायी जाएगी
डॉ रवींद्र यादव ने कहा कि एमडीए अभियान को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग संकल्पित है। अभियान की सफलता के लिए माइक्रो-प्लान बनाया जाएगा। फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव के लिए दो प्रकार की दवा खिलायी जाएगी। इस दौरान आशा और आंगनबाड़ी अपनी निगरानी में ही दवा खिलाएंगी। जिसमें डीईसी एवं अल्बेंडाजोल की दवा शामिल है। दवा गर्भवती महिलाओं एवं गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के अलावा दो वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों को छोड़कर शेष सभी लोगों को खिलाई जाएगी। उन्होंने बताया कि जिले के चयनित गांवों में माइक्रो फाइलेरिया परजीवी की जांच के लिए नाइट ब्लड सर्वे किया गया है। ताकि जिले में फाइलेरिया की स्थिति और नए मरीजों की खोज हो सके। जिले में 10 हजार 800 सैम्पल के विरुद्ध 11 हजार 122 लोगों के रक्त नमूने लिए गए हैं। जिसकी जांच चल रही है।
एमएमडीपी क्लिनिक से मरीजों को मिल रही सहूलियत
जिले भर में फाइलेरिया क्लिनिक (एमएमडीपी) की शुरुआत की जा रही है। जिले के लगभग सभी पीएचसी व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में एमएमडीपी क्लिनिक की स्थापना की जा चुकी है। जबकि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में एमएमडीपी क्लिनिक खोलने की कवायद जारी है। डॉ. रवीन्द्र कुमार यादव ने बताया कि इस क्लिनिक को खोलने का मकसद है कि फाइलेरिया जैसी बीमारी को रोका जा सके। फाइलेरिया पीड़ित मरीजों को बेहतर सुविधा मुहैया कराया जा सके। एमएमडीपी क्लिनिक में जाकर इसकी देखभाल और ऊपचार की जानकारी लेकर इसे आगे बढ़ने से रोक सकते हैं। इस क्लिनिक के माध्यम से फाइलेरिया रोगियों के जीवन को बेहतर करने की कोशिश की जा रही है।
फाइलेरिया दीर्घकालिक विकलांगता का प्रमुख कारण
डॉ. यादव ने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव रोग सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर गंदे एवं रुके हुए पानी में पनपता है। इस मच्छर के काटने से किसी भी उम्र का व्यक्ति ग्रसित हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। लोगों की जिम्मेदारी है कि जब स्वास्थ्य कर्मी घर पहुंचे तो फाइलेरिया से मुक्ति के लिए दवा का सेवन करें। इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।
ध्यान रखने वाली जानकारी
– खाली पेट दवा का सेवन नहीं किया जाना है।
– दवा स्वास्थ्य कर्मियों के सामने ही खाना जरूरी है।
– अल्बेंडाजोल की गोली चबाकर खाई जानी है।
– फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए अपने घरों के आसपास गंदा पानी इकट्ठा न होने दें।
– सोते समय मच्छरदानी का उपयोग जरूर करें।