मोतिहारी। गर्मी के मौसम में बच्चों को ज़्यादा सावधानी बरतनी आवश्यक है क्योंकि इसी समय में एईएस/ चमकी रोग के बढ़ने की ज्यादा संभावना बनी रहती है| ये कहना है पूर्वी चंपारण के सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार का। उन्होंने बताया कि जिले में अधिकांशतः अप्रैल से जुलाई तक के महीने में छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में चमकी की संभावना ज्यादा होती है। उन्होंने बताया कि ऐसे में बच्चों को सुरक्षा के लिए धूप में निकलने से बचना चाहिए। अधपके कच्चे फल का सेवन नहीं करना चाहिए, साथ ही साफ सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
जिले में आ चुके हैं चमकी के मामले
सीएस डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि जिले के कल्याणपुर एवं छौड़ादानो प्रखंड से चमकी बुखार से प्रभावित बच्चों के 2 मामले आ चुके हैं जिन्हें इलाज के बाद ठीक किया जा चुका है। चमकी से प्रभावित बच्चों का सही समय पर तुरंत इलाज होना जरुरी है। सीएस ने बताया कि चमकी के लक्षण मिलते ही बच्चों को तुरंत सरकारी अस्पताल ले आएं, बिल्कुल भी देरी न करें।
चमकी के रोकथाम के लिए होगा प्रचार-प्रसार
वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरत चन्द्र शर्मा ने बताया कि चमकी से ग्रसित बच्चों के लक्षणों व उससे बचाव के विषयों पर स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि इसके मामलों में कमी आ सके । चमकी प्रभावित क्षेत्रों में आरबीएसके चिकित्सकों, जीविका दीदियों, आशा फैसिलिटेटरों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व स्वास्थ्य कर्मियों के सहयोग से चमकी बुखार के लक्षणों को समझाते हुए जगह जगह चौपाल लगाया जाएगा।
चमकी बुखार/ एईएस के लक्षण
– लगातार तेज बुखार रहना।
– बदन में लगातार ऐंठन होना।
– दांत पर दांत दबाए रहना।
– सुस्ती चढ़ना।
– कमजोरी की वजह से बेहोशी आना।
– चिउंटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि।
चमकी बुखार से बचाव को ये सावधानियां हैं जरूरी
– बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें।
– गन्दगी से बचें, कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें।
– ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
– रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
– बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
– पारासिटामोल की गोली या सिरप दें।