सीतामढ़ी : इंजीनियरिंग छात्रों को मिली टीबी के लक्षण और बचाव की जानकारी 

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सीतामढ़ी। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत सीतामढ़ी इंजीनियरिंग  कॉलेज में एडवोकेसी कम्युनिकेशन एंड सोशल मोबलाइजेशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में इंजीनियरिंग छात्रों को टीबी के लक्षण और बचाव की जानकारी दी गई, ताकि उनमें टीबी के प्रति जागरूकता आए। वे खुद और अपने आसपास के लोगों को इस बीमारी से बचा सकें। जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि अगर आपके घर के आस पास किसी व्यक्ति को लगातार खांसी और बुखार आ रहा है तो उसे सरकारी अस्पताल जाने के लिए प्रेरित करें। उसकी जांच अवश्य करवाएं। टीबी रोग की समस्त जांच और दवाइयां सरकार की तरफ से अस्पताल में मुफ्त हैं। उन्होंने छात्रों को बताया कि इससे बचाव के लिए सावधानी जरूरी है। 

आमजन का सहयोग और लोगों को जागरूक होना जरूरी

डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि भारत सरकार ने 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। जो आम जन के सहयोग के बिना संभव नहीं है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीबी खोजी अभियान में सहयोग दें। उन्होंने बताया कि दो सप्ताह से ज्यादा खांसी या बुखार आना, खांसी के साथ मुंह से खून आना, भूख में कमीं और वजन कम होना आदि लक्षण अगर किसी में है तो जाकर टीबी की जांच कराएं। अधिक से अधिक लोग टीबी के लक्षणों के बारे में जानें और अपने आसपास रहने वाले लोगों में यदि इनमें में से कोई लक्षण दिखे तो जांच के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि टीवी मरीजों को प्रत्येक महीने डीबीटी के माध्यम से 500 रूपये दिया जाता है। साथ ही दवा खिलाने वाले सपोर्टर को भी 1000 रूपये से लेकर 5000 रूपये तक दिया जाता है। अगर कोई व्यक्ति मरीजों को जांच के लिए लाता है और उस मरीज को टीवी सिद्ध हो जाता है तो उसे रेफरल के रूप में 500 रुपया दिया जाता है। 

किसी को भी हो सकता टीबी

डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि टीबी हमें नहीं हो सकता। अमीर हो या गरीब, टीबी किसी को भी हो सकता है। टीबी जात-पात, ऊंच-नीच नहीं देखता। इसलिए लोगों को यह भ्रम निकाल देना चाहिए। उन्होंने बताया कि टीबी मुक्त जिला बनाने के लक्ष्य के साथ यक्ष्मा केंद्र के कर्मी लगातार प्रयास कर रहे हैं। विभिन्न स्तरों पर काम कर रहे हैं। टीबी उन्मूलन के लक्ष्य के साथ कर्मी दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों तक  दौरा कर रहे हैं। टीबी मरीजों से मिल रहे हैं। उन्हें समझा रहे हैं, ताकि उनका हौसला बढ़ा रहे। ग्रामीण क्षेत्रों में भी पर्यवेक्षकों द्वारा मरीजों का समुचित ध्यान रखा जा रहा है। क्षेत्र भ्रमण कर वे टीबी मरीजों के दवा सेवन, उनके खानपान, रहने व सोने के तरीकों, मास्क के उपयोग समेत अन्य दिनचर्या की जानकारी दे रहे हैं।

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