बक्सर : जिले में शीतलहर का प्रकोप, स्वास्थ्य विभाग लोगों को ठंड से बचने की दे रहा सलाह

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बक्सर | जिले में शीतलहर का प्रकोप जारी है। शीतलहर के कारण गुरुवार को जिले में न्यूनतम तापमान छह डिग्री व अधिकतम तापमान 20 डिग्री दर्ज किया गया है। मौसम विभाग के अनुसार पछुआ हवाओं के कारण फिलहाल स्थिति यथावत रहेगी। ऐसे में लोगों से ठंड व शीतलहर से बचने की अपील की जा रही है। छोटे बच्चे, बुजुर्ग व गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। 
बढ़ती ठंड व शीतलहर को देखते हुए सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ ने लोगों को ठंड से बचने के उपाय के साथ साथ लोग क्या करें और क्या न करें, इस संबंध में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि अत्यधिक सर्दी की अवस्था में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों जैसे फ्लु, बहती नाक इत्यादि की आशंका बढ़ जाती है। ऐसी अवस्था में तत्काल चिकित्सकीय परामर्श लें। शीतलहर के दौरान, मौसम संबंधी जानकारियों और परामर्श का पालन करें। शीतलहर के दौरान घर में रहें और कम से कम यात्रा करें। अपने आप को सूखा रखें और बहु स्तरीय ढीले ऊनी कपड़े, अपने सर, गला, हाथ और पैरों को ढक  कर रखें। 

ठंड में अधिक बाहर न घूमें

सिविल सर्जन डॉ. नाथ ने बताया, ठंड में लोगों को ताजा एवं पौष्टिक भोजन करना चाहिए। साथ ही, विटामिन- सी की प्रचुरता वाले फल और सब्जी का अधिक सेवन करें, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता तथा तापमान को नियंत्रित रखती है। नियमित अंतराल पर गर्म पेय पदार्थ का सेवन करें जो कि शीतलहर के दौरान शरीर के तापमान को नियत रखते है। बच्चों, वृद्ध व्यक्तियों के साथ-साथ पड़ोस में अकेले रहने वाले व्यक्तियों का विशेष ध्यान रखें। पीने के लिए गरम पेय पदार्थ दें। स्थिति बिगड़ने पर अति शीघ्र चिकित्सीय परामर्श लें। उन्होंने ठंड में अधिक बाहर न घूमने की सलाह दी। कहा कि ठंड में नशीली वस्तुओं का सेवन न करें। इसके सेवन से शरीर के तापमान में गिरावट आती  और रक्त वाहिनियों में विशेष तौर पर हाथों के रक्त वाहिनियों में सिकुड़न आती है। ठंड की  चपेट में आए अंगों की मालिश ना करें क्योंकि इससे और अधिक नुकसान हो सकता है। कंपकंपी को कभी नजर अंदाज ना करें क्योंकि  यह शरीर के तापमान के गिरावट का सूचक है। अगर ऐसा व्यक्ति अचेत हो तो उसे कोई भी पेय पदार्थ ना दें।

घर के अंदर अंगीठी न जलाएं

सिविल सर्जन डॉ. नाथ ने कहा कि ठंड से बचने के लिए लोग कोयले की अंगीठी जलाते हैं। जो बेहद खतरनाक होता है। लोग घरों के अंदर कोयला न जलाएं, क्योंकि कोयले के जलने से कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। जो कि विषैला होता  और कमरे के अंदर के व्यक्तियों की जान जा सकती है। शीतलहर की चपेट में आने से हाथों और पैर की उंगलियों में उजले/पीले धब्बे आ सकते हैं। इसका विशेष ध्यान रखें। शीतलहर के दौरान शरीर के तापमान में गिरावट आने से कंपकंपी, बोलने एवं सोने में तकलीफ, मांस पेशियों में खिंचाव सांसों में तकलीफ और अचेतावस्था हो सकती है। यह चिकित्सकीय आपात स्थिति है। अतः ऐसी अवस्था में अतिशीघ्र उपचार की आवश्यकता होती है, ऐसी स्थिति में व्यक्ति को तत्काल गर्म स्थान पर ले जाएं और कपड़े बदलें, व्यक्ति को संपर्क के द्वारा एवं कई स्तरों के कंबलों, कपड़ों तौलिया, चादर आदि से ढककर गर्म करें।

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