मुजफ्फरपुर। नमस्कार, मैं स्वास्थ्य विभाग की तरफ से फाइलेरिया की दवा खिलाने आई हूं…आपको हाथी पांव के खतरे से बचाने …. आपके घर में कितने सदस्य हैं..। कुछ इन्हीं शब्दों के साथ आशा दीदी, आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य वॉलिन्टियर आगामी 10 फरवरी से जिले के प्रत्येक घरों में दवा खिलाएगें । इसके लिए डीआइइसी भवन के साथ प्रत्येक प्रखंड में शुक्रवार से ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर का प्रशिक्षण आरंभ किया गया। जिसमें अप्रोन में बैठी आशाएं प्रशिक्षण के लिए बने मॉड्यूल और डोज पोल को ध्यान से सुन और समझ रही थी।
प्रशिक्षण का उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ यूसी शर्मा ने विधिवत रूप से किया। आशा से बातचीत करते हुए उन्होंने एमडीए में जुड़ने वाली नई दवा आइवरमेक्टिन के बारे में बताया। इसके अलावा उन्होंने दवा के बाद होने वाले विपरित प्रभाव के बारे में भी आशा दीदीयों को ठीक से समझाते हुए कहा कि दवा खाने से कुछ होता नहीं है। अगर किसी में कुछ लक्षण आए भी तो तुरंत पीएचसी में फोन करें, एम्बुलेंस तैयार रहेगी।
प्रशिक्षण के दौरान पीसीआई के अमित कुमार ने आशा को बताया कि गंभीर रोगी, गर्भवती महिला तथा दो वर्ष से कम उम्र को किसी तरह की दवा नहीं देनी है वहीं दो से ऊपर और पांच वर्ष तक के बच्चों को आइवरमेक्टिन की दवा नहीं देनी है। प्रशिक्षण के दौरान आशा दीदीयां डोज पोल के गणित को समझती भी दिखी।
बिना डोज पोल के कोई दवा न दें
जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार ने कहा कि जिले में दवा खिलाने के लिए 2493 दल का गठन किया गया है। जिनके माध्यम से प्रत्येक द्वार पर जाकर स्वास्थ्य कर्मी दवा खिलाएगी। शहरी क्षेत्र में लगभग 491701 लाभार्थी हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 5858822 लाभार्थी हैं जिन्हें दवा खिलानी है। प्रशिक्षण के दौरान डॉ सतीश कुमार ने सभी आशा को बताया कि उनके पास फैमिली रजिस्टर होना चाहिए। दवा देते वक्त उनके पास डोज पोल अवश्य हो। फैमिली रजिस्टर भी उन्हें अवश्य भरना हे। इसके अलावा ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर का प्रपत्र भरने की भी जानकारी दी गयी।