जम्मू-कश्मीर

जादुई पिटारा बना बच्चों की पर्यावरण शिक्षा का माध्यम

सरकारी माध्यमिक विद्यालय कच्ची खेरा, तलवाड़ा (रियासी) में विशेष जागरूकता सत्र आयोजित

रियासी, जम्मू-कश्मीर (तलवाड़ा)। सरकारी माध्यमिक विद्यालय (जीएमएस) कच्ची खेरा, तलवाड़ा में बच्चों के लिए पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता को लेकर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र का केंद्रबिंदु बना “जादुई पिटारा” – जो बच्चों के लिए न केवल आकर्षण का केंद्र रहा बल्कि शिक्षा का नया और रचनात्मक माध्यम भी सिद्ध हुआ।

पर्यावरण के प्रति जागरूकता जरूरी : शिक्षिका सुषमा कुमारी

इस अवसर पर विद्यालय की शिक्षिका सुषमा कुमारी ने विद्यार्थियों को जादुई पिटारे के माध्यम से पर्यावरण से जुड़ी अहम जानकारियाँ दीं। उन्होंने बताया कि किस प्रकार प्रदूषण, प्लास्टिक उपयोग, पेड़-पौधों की कटाई, और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे हमारे जीवन और धरती पर गहरा प्रभाव डालते हैं।

उन्होंने बच्चों को प्रेरित किया कि वे पेड़ लगाएं, पानी की बचत करें और प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करें। उन्होंने सरल उदाहरणों और खेल-खेल में बच्चों को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा दी।

जादुई पिटारे से निकलीं शिक्षा की नई राहें

जादुई पिटारा एक विशेष शिक्षण उपकरण है जिसमें विभिन्न शैक्षणिक सामग्री जैसे चित्र, मॉडल, चार्ट, कहानियाँ और गतिविधियाँ सम्मिलित होती हैं। यह विशेष रूप से प्राथमिक और माध्यमिक कक्षा के छात्रों के लिए डिज़ाइन किया गया है ताकि वे रोचक तरीकों से सीख सकें।

सुषमा कुमारी ने इस पिटारे की सहायता से बच्चों को यह समझाया कि कैसे पृथ्वी की रक्षा करना हमारी ज़िम्मेदारी है और कैसे छोटे-छोटे प्रयास जैसे कचरे का सही निपटान, बिजली और पानी की बचत, और पौधारोपण बड़े बदलाव ला सकते हैं।

बच्चों में दिखा उत्साह और जागरूकता

कार्यक्रम में छात्रों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। कई बच्चों ने अपने अनुभव साझा किए और यह संकल्प लिया कि वे घर व स्कूल में पर्यावरण की रक्षा के लिए सजग रहेंगे। शिक्षकों और अभिभावकों ने इस पहल की सराहना की और इसे एक सकारात्मक शैक्षणिक प्रयोग बताया।

समापन और भविष्य की योजना

कार्यक्रम के अंत में प्रधानाध्यापक ने सुषमा कुमारी और अन्य शिक्षकों का आभार व्यक्त किया और कहा कि ऐसे नवाचार बच्चों की सोच और सीखने की क्षमता को नई दिशा देते हैं। विद्यालय भविष्य में भी इस प्रकार की गतिविधियाँ नियमित रूप से आयोजित करता रहेगा ताकि विद्यार्थियों को जीवन मूल्यों की शिक्षा मिलती रहे।

जादुई पिटारा केवल एक शिक्षण साधन नहीं, बल्कि एक ऐसा माध्यम बन गया है जो बच्चों में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता और ज़िम्मेदारी की भावना जाग्रत कर रहा है। इस पहल ने यह सिद्ध कर दिया कि सही मार्गदर्शन और रोचक प्रस्तुतिकरण से शिक्षा प्रभावी और यादगार बन सकती है।

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