वसंत पंचमी महोत्सव–ज्ञान, कला एवं संस्कृति का पर्व
बक्सर। वसंत पंचमी पर कला संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार एवं जिला प्रशासन बक्सर के सयुंक्त तत्वावधान में नगर भवन बक्सर में एक दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह पर्व माँ सरस्वती के पूजन, ज्ञान, कला और संस्कृति के उत्सव के रूप में मनाया गया। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में माना जाता है। इस दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना की जाती है। विद्यार्थियों द्वारा विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा कर अपने सफल भविष्य के लिए कामना की जाती है।
कार्यक्रम का शुभारंभ उप विकास आयुक्त बक्सर, डॉ० महेंद्र पॉल द्वारा दीप प्रज्वलन और कलाकारों द्वारा माँ सरस्वती वंदना से की हुई। महोत्सव में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, संगीत, नृत्य और काव्य पाठ का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय कलाकारों, शिक्षकों और विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। उप विकास आयुक्त ने कहा, “वसंत पंचमी न केवल ज्ञान और बुद्धि का पर्व है, बल्कि यह हमारे समाज में कला, साहित्य और संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी माध्यम है।
कार्यक्रम में मधुरिमा, बृजेश चौबे, देवकी सिंह, विजय लक्ष्मी पटेल, मीनाक्षी पांडेय द्वारा गायन की प्रस्तुति, रवि रंजन चौबे एवं अनुप कुमार द्वारा वादन प्रस्तुति तथा अंशिता त्रिपाठी, जूही कुमारी और शिवानी द्वारा नृत्य प्रस्तुति दी गई। वसन्त ऋतु वर्ष की एक ऋतु है जिसमें वातावरण का तापमान प्रायः सुखद रहता है। भारत में यह फरवरी से मार्च तक होती है। इस ऋतु की विशेषता है मौसम का गरम होना, फूलो का खिलना, पौधो का हरा भरा होना और बर्फ का पिघलना। इस मौसम में चारों ओर हरियाली होती है। पेड़ों पर नये पत्ते उग्ते है।
वसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर दिन नयी उमंग से सूर्योदय होता है और नयी चेतना प्रदान कर अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर चला जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार वसंत को कामदेव का पुत्र कहा गया है। कवि देव ने वसंत ऋतु का वर्णन करते हुए कहा है कि रूप व सौंदर्य के देवता कामदेव के घर पुत्रोत्पत्ति का समाचार पाते ही प्रकृति झूम उठती है, पेड़ उसके लिए नव पल्लव का पालना डालते है, फूल वस्त्र पहनाते हैं पवन झुलाती है और कोयल उसे गीत सुनाकर बहलाती है। भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है ऋतुओं में मैं वसंत हूँ।
वसंत ऋतु में वसंत पंचमी, शिवरात्रि तथा होली नामक पर्व मनाए जाते हैं। भारतीय संगीत, साहित्य और कला में इसे महत्वपूर्ण स्थान है। संगीत में एक विशेष राग वसंत के नाम पर बनाया गया है जिसे राग बसंत कहते हैं। वसंत राग पर चित्र भी बनाए गए हैं। कार्यक्रम में प्रतिभागियों को पुरस्कार/प्रशस्ति पत्र देकर एवं मंगलकामना के साथ समापन हुआ। इस अवसर पर अनुमंडल पदाधिकारी बक्सर सदर, नजारत उप समाहर्ता, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी इत्यादि नगर के गणमान्य व्यक्तियों, शिक्षकों, एनसीसी, हिंदुस्तान स्काउट गाइड के छात्रों ने भाग लिया।