मुख्यमंत्री व्यावसायिक पाठ्यक्रम मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केंद्र द्वारा सम्मान-समारोह एवं प्रेरणा-सत्र आयोजित
मनोरथ नहीं, उद्यम से मिलती है सफलता : प्रो. द्विवेदी
मधेपुरा। हमें अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और उसके लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए। सफलता सिर्फ मनोरथ करने से नहीं, बल्कि उद्यम करने से मिलती है। यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा के पूर्व कुलपति प्रो. ज्ञानंजय द्विवेदी ने कही।
वे शुक्रवार को मुख्यमंत्री व्यावसायिक पाठ्यक्रम मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केंद्र द्वारा आयोजित सम्मान-समारोह एवं प्रेरणा-सत्र में बोल रहे थे। यह कार्यक्रम केंद्र में मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहे प्रो. राजकुमार सिंह एवं प्रो. ज्ञानंजय द्विवेदी के सम्मानार्थ और केंद्र में नामांकित विद्यार्थियों को उत्प्रेरित करने के उद्देश्य से किया गया था।
प्रो. द्विवेदी ने कहा कि कर्म करना हमारे वश में है, लेकिन उसका फल हमारे वश में नहीं है। इसलिए हमें निष्कामभाव से अपने कर्म-पथ पर अडिग रहना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि वे अपने विषय से प्रेम करें और उसमें विशेषज्ञता हासिल करें। स्वयं ज्ञान एवं कौशल अर्जित करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।
इस अवसर पर पूर्व डीएसडब्ल्यू प्रो. राजकुमार सिंह ने कहा कि जीवन में सफल होने के लिए प्रेरणा एवं अनुशासन की जरूरत होती है। यदि अनुशासन नहीं हो, तो प्रेरणा ज्यादा दिनों तक नहीं टिकती है। इसके विपरित यदि लंबे समय तक अनुशासित होकर कार्य किया जाता है, तो कार्य करने की प्रेरणा हमेशा बनी रहती है।
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के सौजन्य से इस केंद्र में विद्यार्थियों को नि: शुल्क प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन मिल रहा है। सभी विद्यार्थी पूरे लगन एवं मेहनत से पढ़ाई करें और केंद्र में मौजूद सुविधाओं का अधिकाधिक लाभ उठाएं। यदि आप सफल होंगे, तो वह दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनेगी।
विकास पदाधिकारी प्रो. ललन प्रसाद अद्री ने कहा प्रो. ज्ञानंजय द्विवेदी एवं प्रो. राजकुमार सिंह दोनों आदर्श शिक्षक हैं। हम सबों को इनके विचारों एवं कार्यों से प्रेरणा मिलती है। इस केंद्र के विद्यार्थियों का सौभाग्य है कि उन्हें इतने वरिष्ठ शिक्षकों का मार्गदर्शन मिल रहा है।
इस अवसर अतिथियों का स्वागत करते हुए एम. एड. विभाग के शिक्षक डॉ. एस. पी. सिंह ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा बीएनएमयू में मुख्यमंत्री व्यावसायिक पाठ्यक्रम प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन केंद्र की शुरुआत की गई है। केंद्र में विद्यार्थियों को इनईटी, जीएटीई, जेआरएफ, पीएचडी आदि प्रतियोगिता परीक्षाओं में चयनित होने के लिए परीक्षा पूर्व निशुल्क प्रशिक्षण (कोचिंग) की व्यवस्था है। इसमें प्रायः युवा शिक्षक कक्षाएं ले रहे हैं, लेकिन कुछ वरिष्ठ शिक्षकों द्वारा भी समय-समय पर मार्गदर्शन दिया जा रहा है।
डॉ. फिरोज अहमद मंसूरी ने कहा कि आज सम्मानित होने वाले शिक्षकों के कार्य एवं व्यवहार हम सबों के लिए प्रेरक हैं। यह खुशी की बात है कि इस केंद्र के विद्यार्थियों को इसके अनुभवों का लाभ मिल रहा है।
डॉ. पी. के. पाल ने कहा कि यह कार्यक्रम विद्यार्थियों को अभिप्रेरित करने में मील का पत्थर साबित होगा, जो उनकी सफलता का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। यदि कोई व्यक्ति सचमुच अभिप्रेरित है और कठिन परिश्रम करने को तैयार है, तो उसको लक्ष्य प्राप्त करने से कोई भी नहीं रोक सकता है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए उपकुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि शिक्षकों की समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में महती भूमिका है। विकसित भारत के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अच्छी तरह शिक्षित, प्रशिक्षित एवं दीक्षित लोगों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे लाने की जरूरत है।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए एम. एड. विभागाध्यक्ष डॉ. सी. डी. यादव ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि आज सम्मानित होने वाले दोनों शिक्षकों की इस केंद्र के विकास में महती भूमिका है। उन्हें विश्वास है कि आगे भी केंद्र के विद्यार्थियों को दोनों वरिष्ठ शिक्षकों का मार्गदर्शन मीलैगा। इससे विद्यार्थियों को बेहतर प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिलेगी और विश्वविद्यालय का नाम रौशन होगा।
इसके पूर्व अतिथियों को अंगवस्त्रम्, पौधा एवं केंद्र द्वारा प्रकाशित डायरी देकर सम्मानित किया गया। सभी अतिथियों, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने एक-दूसरे का परिचय प्राप्त किया। सभी विद्यार्थियों को शपथ दिलाई गई कि वे नियमित रूप से कक्षा में आएंगे और पूरी ईमानदारी से तैयारी करेंगे। कार्यक्रम के आयोजन में सौरभ कुमार चौहान एवं संतोष कुमार ने विशेष सहयोग किया।
इस अवसर पर नोडल पदाधिकारी डॉ. विशाखा कुमारी, डॉ. रूपा कुमारी, डॉ. अंजू कुमारी, डॉ. माधूरी कुमारी, जितेन्द्र कुमार, सोनी कुमारी, प्रियंका कुमारी, रूबी कुमारी, ललिता कुमारी, रघुनंदन कुमार, जयश्री कुमारी, रेशमी कुमारी, मयूरी गुप्ता आदि उपस्थित थे।