एचआईवी संक्रमण के पश्चात शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है : डीआईएस
सिमरी प्रखंड के गंगौली में लोगों को किया गया एचआईवी और एड्स के प्रति जागरूक
आईसीटीसी मोबाइल कैंप में 163 लोगों में की गई एचआईवी की जांच
बक्सर, 01 मार्च | जिले में एड्स नियंत्रण को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। जिसके तहत शुक्रवार को सिमरी प्रखंड के गंगौली गांव में आईसीटीसी मोबाइल कैंप लगाकर एचआईवी/ एड्स के बारे में प्रसार किया गया।
इस दौरान मोबाइल वैन के माध्यम से गांव के बीच माइकिंग की गई। जिसमें एक हजार से भी अधिक लोगों को एचआईवी व एड्स के संबंध में विस्तार से बताया किया। साथ ही, मोबाइल टीम ने गांव के 168 लोगों में एचआईवी की जांच भी की।
इस दौरान ग्रामीणों में मधुमेह और टीबी की भी जांच की गई। साथ ही, ग्रामीणों के बीच सामान्य बीमारियों की जांच करते हुए उन्हें दवाएं भी दी गई। इस कैंप में दर अस्पताल के डीआईएस शिव कृपाल दास, परामर्शी मनोज कुमार, लैब टेक्नीशियन अमित कुमार, अहाना के एफएलडब्ल्यू प्रकाश कुमार, टीआई एनजीओ के नरेन्द्र पांडेय, आरबीएसके सिमरी के डॉ. संतोष कुमार वर्मा, एसटीएस पिंकी कुमारी, सीएचओ चंद्रक्रांति गुप्ता, एएनएम कुमारी सुमन, रानी सिंह एवं आशा कार्यकर्ताएं मौजूद रही।
एचआईवी संक्रमण के बाद होता है एड्स
डीआईएस शिव कृपाल दास ने बताया कि एड्स एक ऐसी जानलेवा बीमारी है जो मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु (एचआईवी) संक्रमण के बाद होती है। एचआईवी संक्रमण के पश्चात मानवीय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है। एड्स का पूर्ण रूप से उपचार अभी तक संभव नहीं हो सका है। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति में एड्स की पहचान संभावित लक्षणों के दिखने के पश्चात ही हो पाती है।
एड्स के लक्षण दिखने में आठ से 10 वर्ष तक का समय लग सकता है। एचआईवी संक्रमण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को इस हद तक कम कर देता है कि इसके बाद शरीर अन्य संक्रमणों से लड़ पाने में अक्षम हो जाता है। एड्स शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को इतना दुष्प्रभावित कर देता है कि इस गंभीर बीमारी की रोकथाम या इसका उपचार करना आवश्यक हो जाता है।
1097 पर कॉल करके एड्स के बारे में ले सकते हैं जानकारी
सदर अस्पताल के डीआईएस शिव कृपाल दास ने बताया कि मोबाइल वैन के माध्यम से लोगों को एचआईवी के संबंध में जागरूक किया जा रहा है। इसके अलावा कोई भी 1097 पर कॉल करके एड्स बीमारी के बारे में सारी जानकारी नि:शुल्क प्राप्त की जा सकती है।
जिले में लोगों के इलाज के लिए एआरटी सेंटर का भी संचालन किया जा रहा है। जहां इसके उपचार के लिए खून जांच की सुविधा व दवा उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि जैसे महिलाओं में ल्यूकोरिया, पेडू में दर्द रहना व कमर दर्द तथा पुरुष व महिला के गुप्त अंगों पर छोटे-छोटे लाल दाने होना आदि लक्षण दिखाई दें तो हमें इसका उपचार कराना चाहिए।
गर्भवती होने का पता चलते ही एचआईवी व सिफलिस का टेस्ट करवाएं। अगर कोई गर्भवती महिला एचआईवी पॉजिटिव आ जाती हैं तो एआरटी शुरू करवा देनी चाहिए। जिससे बच्चे के अंदर एचआईवी वायरस फैलने की क्षमता बिल्कुल ना के बराबर हो जाती है।