बेतिया : चमकी बुखार से बचाव के तरीके बता रहे हैं जिले के स्वास्थ्यकर्मी

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बेतिया। गर्मी बढ़ने के साथ ही जुलाई के महीने तक  छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में चमकी/मस्तिष्क ज्वर की संभावना बनी रहती है। ऐसे में लोग चमकी/मस्तिष्क ज्वर को सही समय पर जान सकें व इसके लक्षण जानकर समय पर इलाज कराकर सुरक्षित रह सकें, इसलिए जिले में स्वास्थ्य विभाग लोगों को जागरूक कर रहा है।

यह जानकारी दी है  जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ हरेन्द्र कुमार ने। उन्होंने बताया कि-कथैया नौतन समेत कई प्रखण्डों में घर-घर घूमकर, हैंडबिल बाँटकर लोगों को संदेश दिया जा रहा कि चमकी के लक्षण मिलते ही बच्चों को तुरंत सरकारी अस्पताल ले आयें। बिल्कुल भी देरी न करें। अस्पताल से दूरी होने पर एम्बुलेंस किराए पर लेकर तुरंत पहुँचें। आने- जाने का भाड़ा अस्पताल द्वारा दिया जाएगा।

बाजार व सड़कों के किनारे हैंडबिल बाँटकर फैलाई जा रही जागरूकता

भीबीडीएस डॉ सुजीत कुमार वर्मा व अरुण कुमार ने बताया कि- सभी स्वास्थ्य केन्द्रों को ओआरएस के पाउडर व पैरासिटामोल की गोली पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रखने का निर्देश दिया गया है। ताकि जिले में चमकी के प्रभाव को रोका जा सके।

उन्होंने बताया कि चमकी के लक्षण व बचाव के तौर तरीकों के साथ ही स्वच्छता के बारे में जानकारी दी गई। वहीं  बच्चों को भी चमकी बुखार के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई। 

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चमकी से बचने के लिए चौपाल का करें आयोजन

सिविल सर्जन डॉ श्रीकांत दुबे ने बताया कि जिले के सभी प्रखण्ड अस्पतालों के प्रभारियों को गर्मियों में होने वाले चमकी बुखार से बचाव को अलर्ट रहने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने बताया कि जिले के तमाम मेडिकल टीमों को जन जागरूकता व मेडिकल व्यवस्था के साथ एईएस से लड़ने के लिए तैयार किया जा रहा है।

जिले की  जीविका दीदियों, आशा फैसिलिटेटरों, नर्सो को समय समय पर एईएस से सम्बंधित जानकारी दी जा रही है। बच्चों को एईएस से बचाने के लिए माता-पिता को शिशु के स्वास्थ्य के लिए अलर्ट रहना चाहिए। समय-समय पर देखभाल करते रहना चाहिए। स्वस्थ बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए। साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को मां का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है।  

 एईएस से बचने हेतु सावधानियां

– बच्चे बेवजह धूप में घर से न निकलें।

– गन्दगी से बचें, कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें।

– ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी  लगातार पिलायें।

– रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।

– बुखार होने पर शरीर को पानी से  पोछें।

– पैरासिटामोल की गोली या सीरप दें।

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