बच्चों में नवाचार व खोज आधारित शिक्षा को मिलेगा बढ़ावा, डायट में चल रहें तीन दिवसीय प्रशिक्षण

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डुमरांव. बिहार शिक्षा परियोजना परिषद एवं भारतीय विज्ञान एवं शिक्षा अनुसंधान संस्थान पुणे द्वारा एसटीईएम के तकनीकों एवं नवीनतम शैक्षणिक उपकरणों का उपयोग कर विद्यार्थियों में गणित एवं विज्ञान की अभिरुचि विकसित करने के उद्देश्य से राज्य के विज्ञान एवं गणित शिक्षकों को आईआरआइएसई कार्यक्रम अंतर्गत तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण दिया गया है. यह प्रशिक्षण राज्य के सभी जिले के शिक्षकों को चरणबद्ध तरीके से दिया गया. टीडीएस, जिसके अंतर्गत शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाता है.

इस परियोजना को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री, ब्रिटिश काउंसिल, और टाटा टेक्नोलॉजीज के सहयोग से कार्यान्वित किया जा रहा है. उक्त कार्यक्रम का उद्देश्य है शिक्षकों और छात्रों में नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ाना है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य के विद्यार्थियों का इंस्पायर अवार्ड्स – मानक में भी ज्यादा से ज्यादा नामिनेशन कराना है, जो कि देश के बच्चों को नवाचार में बढ़ावा देने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार की एक योजना है.

प्रशिक्षण में रटने की जगह समझने की प्रवृति को प्राथमिकता दी गई है. बच्चों को आस-पास के परिवेश से जोड़कर दैनिक जीवन की घटनाओं का उदाहरण देकर विज्ञान और गणित की शिक्षा देने की बात कही जायेगी. पूछताछ और गतिविधि आधारित तथा विज्ञान एवं गणित को अंतर्विषयक बना कर बच्चों तक पहुंचाया जा सके इसकी चर्चा की जाएगी. महाराष्ट्र के बाद बिहार दूसरा राज्य है, जहां इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई है. आइआरआइएसई कार्यक्रम के विभिन्न चरण हैं, जिसमें प्रथम चरण में राज्य के कुछ शिक्षकों को तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण दिया जा चुका है.

तत्पश्चात प्रथम चरण में प्रशिक्षित शिक्षकों में से कुछ शिक्षकों का चयन उनके कक्षा में की गयी. गतिविधियों के आधार पर किया गया था, जो दूसरे चरण के तहत 10 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण भारतीय विज्ञान एवं शिक्षा अनुसंधान संस्थान पुणे में प्राप्त कर चुके है. 10 दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले शिक्षकों को आईसी के नाम से जाना जाता है, एवं उसके बाद तीसरा चरण शुरू हो चुका है, जिसमें सभी आईसीएस की मदद से अपने संबंधित जिले में कैसकेड कार्यशाला का आयोजन करेंगे.

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इस कार्यक्रम के तहत सभी विद्यालयों को एक किट भी उपलब्ध कराया जाएगा, जो विद्यालय में गतिविधि कराने हेतु शिक्षकों के लिए काफी मददगार साबित होगा. इसी क्रम में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, डुमरांव में बक्सर जिले के 55 शिक्षकों का तीसरा चरण का प्रशिक्षण दिनांक 22 से प्रारंभ होकर 24 मई की अवधि में संचालित किया जा रहा है. इसका उदघाटन जिला गुणवत्ता शिक्षा समन्वयक डॉ. प्रभात कुमार एवं डायट के अन्य व्याख्याताओं द्वारा किया गया. इस दौरान बक्सर जिले के इनोवेशन चौंपियन नवनीत कुमार सिंह, प्रियंका कुमारी, राजीव रंजन, हेमलता कुमारी और अतुलीत सिंह और आइआइएसईआर पुणे से सुजीत गोंडा एवं निशांत सिंघानिया उपस्थित रहें.

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