आरा / 2 मई- विश्व अस्थम दिवस हर वर्ष के मई महीने के पहले मंगलवार को मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य जनमानस में अस्थमा को लेकर जागरूकता लाना एवं अस्थमा से होने वाली मृत्यु के मामलों को कम करना है. इस वर्ष अस्थमा दिवस के अवसर पर “अस्थमा केयर फॉर आल” को थीम के रूप में चुना गया है.
श्वास संबंधी रोग वाले लोगों को कोरोना संक्रमण का खतरा अधिक
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वैसे तो कोरोना के संक्रमण से कोई भी ग्रसित हो सकता है लेकिन श्वास संबंधी बिमारियों से ग्रसित लोगों को इससे संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है. श्वास से जुडी बीमारी वाले मरीजों के फेफड़ों में समस्या पायी जाती है और कोरोना संक्रमण का सीधा असर संक्रमित व्यक्ति के फेफड़ों पर ही पड़ता है.
अस्थमा के मरीज रहें सतर्क
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अस्थमा रोगियों के लिए बदलता हुआ मौसम चुनौती लेकर आता है. धुल, गर्मी और तनाव तीनो ही चीजें उनके अस्थमा को बढ़ा सकती हैं. कोविड-19 के बाद यह जोखिम और भी ज्यादा बढ़ा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वैसे लोग जो पहले अस्थमा की समस्या से बचे हुए थे कोरोना से उबरने के बाद उन्हें सांस की समस्या के लक्षण नजर आने लगे हैं. चिकित्सकों के अनुसार कोरोना की चपेट में आये कुछ लोगों में आफ्टर कोरोना के साइड इफ़ेक्ट के तौर पर एलर्जिक अस्थमा के मामले बढ़े हैं. इसका मुख्य कारण सांस से संबंधित इम्युनिटी का कमजोर होना है.
क्या है अस्थमा
सांस मार्ग में सूजन होने पर सांस की अवस्था भारी हो जाती है जिसे अस्थमा कहा जाता है. अस्थमा के होने के कई कारण हो सकते हैं, वंशानुगत, वायरल इन्फेक्शन, एलर्जी तथा कोविड-19 के संक्रमण भी एक प्रमुख कारण है. इसके अलावा व्यायाम, जलवायु से जुडी समस्या अथवा कुछ ख़ास दवाओं की सेवन की वजह से भी अस्थमा का अटैक आ सकता है.
अस्थमा के लक्षण
• तेज खांसी के साथ सांस लेने में दिक्कत तथा सांस का फूलना
• सीने में जकड़न और दर्द रहना
• घबराहट अथवा बेचैनी
• अक्सर थकान महसूस होना
• हमेश वायरल इन्फेक्शन से ग्रसित होना
चिकित्सकों द्वारा अस्थमा से बचाव के लिए निम्न तरीके बताये जाते हैं:
• दमे का परिक्षण, फेफड़ों और एलर्जी की जांच कराएँ
• धुम्रपान न करें और करने वालों से दूरी बनायें
• ठंडे पेय के सेवन से बचें
• ज्यादा थकाने वाले काम न करें