डुमरांव. अनुमंडल मुख्यालय सहित सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के जलाशय, तालाबों व घरों पर श्रद्धालुओं ने चैती छठ के दूसरे दिन मंगलवार की सुबह उगते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया. इसके साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व संपन्न हो गया. नगर के छठिया पोखरा पर चैती छठ पर्व पर अस्ताचलगामी सूर्य को दिया गया. चैती छठ के अनुष्ठान नेम, निष्ठा के साथ किया जाता है.
मंगलवार को उगते हुए सूर्य को दिया गया. अपने परिवार व समाज के लोगों के सुख, समृद्धि, शांति, यश, धन, वैभव की प्राप्ति की कामना की. छठ व्रतियों के पांव छूकर आशीर्वाद लेने के साथ उनके हाथ का प्रसाद ग्रहण करने के लोगों के बीच होड़ मची रही. इस दौरान सुहागिन महिलाएं एक दूसरे की मांग सिंदूर लगाकर जीवन भर सुहागिन रहने की कामना की. छठ घाट पर युवाओं के बीच सेल्फी लेने की भी होड़ मची रही.
पर्व को लेकर भक्ति व उत्साह का माहौल रहा. भगवान भास्कर की महिमा तमाम पुराणों में बताई गई है. भगवान सूर्य एक ऐसे देवता हैं, जिनकी साधना भगवान राम और श्री कृष्ण के पुत्र शांब तक ने की थी. सनातन परंपरा से जुड़े धार्मिक ग्रंथों में उगते हुए सूर्य देव की पूजा को अत्यंत ही शुभ और शीघ्र ही फलदाई बताया गया है.
लेकिन छठ महापर्व पर की जाने वाली सूर्य देव की पूजा एवं अर्घ्य का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता के अनुसार छठ व्रत की पूजा से साधक के जीवन से जुड़े सभी कष्ट पलक झपकते दूर हो जाते हैं और उसे मनचाहा वरदान प्राप्त होता है. छठ महापर्व के समापन के बाद छठ व्रती छठ मैया को लगाए भोग को प्रसाद के रूप में वितरित करते हैं.

