बेतिया : फाइलेरिया उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण

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बेतिया। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को लेकर बुधवार को जिला स्थित एक निजी होटल में एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सहयोग से किया गया। कार्यशाला के दौरान सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम, बीसीएम, भीबीडीएस व कार्यक्रम में सहयोग दे रहे फाइलेरिया कर्मी को फाइलेरिया के उपचार संबंधी जानकारी दी गई। कार्यशाला का उद्घाटन अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रमेश चंद्रा ने किया। मौके पर डॉ चंद्रा ने बताया कि फाइलेरिया मादा संक्रमित क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। तथा यह मच्छर अधिकतर रात में ही काटता है। जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ हरेन्द्र कुमार ने बताया कि आगामी 10 फरवरी से सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम प्रस्तावित है ताकि इस परिप्रेक्ष्य में आवश्यक तैयारी भी की जाए।  डब्ल्यूएचओ की जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ माधुरी देवराज ने बताया कि फाइलेरिया मुख्यतः एक परजीवी के कारण होता है। इसके साथ ही डॉ माधुरी ने माइक्रोफाइलेरिया के पूरे जीवन चक्र पर भी विस्तार से चर्चा की। 

लाइन लिस्टिंग पर हुई चर्चा

केयर इंडिया के डीपीओ मुकेश कुमार ने कहा कि आशा के द्वारा फाइलेरिया रोग के मरीजों की लाइन लिस्टिंग सभी प्रखंडों के द्वारा किया जाना आवश्यक है। साथ ही सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम में आशा के द्वारा कैसे काम किया जाए इसकी विस्तृत जानकारी दी गयी।

फाइलेरिया मरीजों को होती है कई तरह की समस्याएं

डॉ. माधुरी देवराज ने प्रशिक्षण के दौरान बताया कि लिम्फोडिमा को 7 स्टेज में बांटा गया है। शुरुआत में एक से दो स्टेज तक के मरीज को फिर से सामान्य अवस्था में  लाया जा सकता है, लेकिन स्टेज बढ़ जाने पर मरीज ठीक नहीं हो सकता है। जैसे-जैसे स्टेज बढ़ते जाता है, यह बीमारी कष्टकारी होता जाता है। मरीज शारीरिक बीमारी के साथ-साथ मानसिक रूप से बीमार होने लगता है, और डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। महीना दो महीना में 5 से 7 दिनों के लिए तेज बुखार, विकलांग पैर में दर्द, पैर का लाल होकर फूल जाना आदि समस्याएं भी होती हैं । हाइड्रोसील वाले मरीजों में कई तरह की समस्याओं के अलावा यौन समस्याएं भी होती हैं ।

विश्व मे विकलांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है फाइलेरिया

डॉ. माधुरी देवराज ने बताया कि फाइलेरिया एक कृमि के कारण होने वाला बीमारी है, जो मच्छर के काटने से फैलता है। इस रोग में व्यक्ति के पैरों में इतनी सूजन आ जाती है कि उनका पैर हाथी के पैर के समान मोटा हो जाता है। इस रोग को हाथी पांव भी कहते हैं। इसलिए अपने घरों के आसपास साफ-सफाई रखना आवश्यक है तथा वर्ष में एक बार सर्वजन दवा सेवन (आईडीए/एमडीए) कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा खाना जरूरी है। जिसको फाइलेरिया हो गया है, उसको स्व उपचार करना अत्यंत जरूरी है।

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फाइलेरिया उन्मूलन के लिए हो रहे सार्थक प्रयास

डीएमओ डॉ. हरेंद्र कुमार ने कहा कि जिले में स्वास्थ्य विभाग फाइलेरिया उन्मूलन के लिए प्रतिबद्धता के साथ हर स्तर पर सार्थक प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि हाथी पांव के नाम से जाना जाने वाला रोग फाइलेरिया के उन्मूलन के लिये शुरू होने वाले एमडीए के दौरान सभी योग्य व्यक्ति दवा का सेवन करें, जिससे जिला फाइलेरिया मुक्त हो सके। उन्होंने बताया कि जिले में हुए नाइट ब्लड सर्वे में 141 की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है।

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