बेतिया। टीबी बीमारी में दवाइयों के साथ सही पोषण भी काफी अहम होता है। ऐसे में सरकार द्वारा चलाए गए निक्षय मित्र योजना टीबी मरीजों के पोषण के लिए काफी मददगार है। देशव्यापी टीबी उन्मूलन में बेतिया कहीं से भी पीछे नहीं है। यहां के जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ टीएन प्रसाद ने सबसे पहले पहल करते हुए खुद को पहला निक्षय मित्र बनाया। डॉ प्रसाद के इस कदम की जितनी तारीफ की जाए कम है। वहीं यह उनके और समर्थ लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है। डॉ टीएन प्रसाद ने मझौलिया के एक टीबी मरीज को गोद लेकर उसके पूरे इलाज के दौरान पोषण की जरूरतों को पूरा करेंगे। डॉ प्रसाद ने अपने गोद लिए मरीज को पहले महीने की पोषण की पोटली भी दे दी है।
निभा रहा सामाजिक जिम्मेदारी
निक्षय मित्र बनने पर डॉ टीएन प्रसाद ने कहा कि जिला यक्ष्मा पदाधिकारी के तौर पर मैं यहां स्वास्थ्य कार्यक्रम चला रहा हूं। निक्षय मित्र योजना से पहले भी मैंने यह महसूस किया कि दवाओं को अगर पोषण का साथ मिलता है तो बीमारी समय से ठीक हो जाती है। एक चिकित्सक के अलावे भी मैं इसी समाज का हिस्सा हूं। ऐसे में निक्षय मित्र योजना ने मेरे अंदर के सामाजिक व्यक्ति को जागृत किया, जिसमें मैंने मझौलिया के बेहद गरीब टीबी मरीज को गोद लेने का फैसला कर पाया। पहले महीने की पोषण पोटली देकर खुद को अंदर से प्रफुल्लित देख रहा हूं।
साथ लगे एसटीएस रंजन भी बन गए निक्षय मित्र
एसटीएस रंजन कुमार ने कहा कि अपने वरिष्ठ अधिकारी को निक्षय मित्र बनते देख मेरे अंदर का भी सामाजिक व्यक्ति जागृत हो गया। मैंने योगापट्टी के निर्धन परिवार से आने वाले टीबी मरीज का निक्षय मित्र बन गया। मैं तो चाहूंगा कि हर वो सरकारी कर्मचारी, जनप्रतिनिधि, संस्था या समाज का कोई व्यक्ति जो आर्थिक रूप से संपन्न है। वह निक्षय मित्र बने।
निक्षय मित्र के पोषण पोटली में रहते हैं ये सब
सीडीओ डॉ टीएन प्रसाद ने बताया कि पौष्टिक पोटली में दाल,मूंगफली,चना,गुड़,अंडा रहते हैं। इसके साथ ही मैं उन्हें पोषण के अलावे मानसिक रूप से भी सकारात्मक रखने की कोशिश करूंगा। एक टीबी मरीज के निक्षय मित्र बनने पर पूरे इलाज के दौरान 15 से 18 हजार रुपए अनुमानित खर्च होते हैं।