बदलते मौसम में शिशुओं को निमोनिया से बचाव के लिए संपूर्ण टीकाकरण जरूरी

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बक्सर, 09 दिसंबर | जिले में बढ़ते ठंड के बीच बच्चों में निमोनिया की संभावना भी बढ़ जाई है। ऐसे में बचाव के लिए बच्चे का विशेष ख्याल रखने की जरूरत है। कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता के कारण बच्चे जल्द ही इसकी चपेट में आ जाते हैं। निमोनिया फेफड़ों में संक्रमण के कारण होता है। जिसकी मुख्य वजह बैक्टीरिया, वायरस और फंगल इन्फेक्शन है। इस वजह से बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में काफी तकलीफ होती है। इस बीमारी से बचने का एकमात्र उपाय न्यूमो कॉकल वैक्सीन (पीसीवी) का टीकाकरण ही है।

आम तौर पर यह बीमारी बुखार या जुखाम होने के बाद ही होता है। सर्दी के मौसम में बच्चों और बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से यह बीमारी ज्यादा होती है। निमोनिया का प्रारम्भिक इलाज सीने का एक्स-रे करने के बाद क्लीनिकल तरीके से शुरू होता है। निमोनिया माइक्रो बैक्टीरिया वायरल, फंगल और पारासाइट की वजह से उत्पन्न संक्रमण की वजह से होता है। इसका संक्रमण सामुदायिक स्तर पर भी हो सकता है।

पीसीवी का टीका निश्चित रूप से लगवाएं

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ राज किशोर सिंह ने बताया, निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण सर्दी व खांसी जैसे हो सकते हैं। ज्यादातर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग इससे जल्दी ग्रसित हो जाते हैं। जिन बच्चों को पीसीवी का टीका नहीं पड़ा है, उन बच्चों को इस बीमारी की चपेट में आने की संभावना अधिक रहती। इस बीमारी में मवाद वाली खांसी, तेज बुखार एवं सीने में दर्द समेत अन्य परेशानी होती है।

इस बीमारी को टीकाकरण से रोका जा सकता है। इसलिए, अपने बच्चों को संपूर्ण टीकाकरण के अंतर्गत स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध निःशुल्क पीसीवी का टीका निश्चित रूप से लगवाएं। वहीं, उन्होंने बताया, बच्चे को जन्म के पश्चात दो साल के अंदर सभी तरीके के पड़ने वाले टीके जरूर लगवाने चाहिए। इससे बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत तो होती ही है, इसके अलावा वह 12 से अधिक प्रकार की बीमारियों से भी दूर रहता ।

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सावधानी बरतने की जरूरत

डॉ. सिन्हा ने बताया, निमोनिया से बचाव का एक मात्र उपाय टीकाकरण हीं है। यह एक सांस संबंधी बीमारी है, इसलिए कुछ सावधानी बरतने के बाद काफी हद तक इसके संक्रमण से बचा जा सकता है। इसके लिए नवजात एवं छोटे बच्चों के रखरखाव, खान-पान एवं कपड़े पहनाने में सावधानी बरतने की आवश्यकता है। सर्दी के मौसम में हमेशा बच्चों को गर्म कपड़े पहनाने एवं खाने-पीने में गर्म पदार्थों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।

इसके साथ ही वैसे लोगों के संपर्क से दूर रखने की आवश्यकता है, जिन्हें पहले से सांस संबंधी बीमारी हो। इसके साथ बुजुर्गों सहित अन्य लोगों को भी काफी सावधानी बरतने की जरूरत है। निमोनिया का प्रारंभिक लक्षण, बुखार के साथ पसीना एवं कंपकपी होना, अत्यधिक खांसी में गाढ़ा, पीला, भूरा या खून के अंश वाला बलगम आना, तेज-तेज और कम गहरी सांस लेने के साथ सांस का फूलना (जैसे कि सांस लेने के दौरान आवाज होना), होंठ या अंगुलियों के नाखून नीले दिखाई देना, बच्चों की परेशानी व उत्तेजना बढ़ जाना है।

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