डुमरांव. आगामी 10 नवंबर को आधुनिक बिहार के निर्माता डॉ सच्चिदानंद सिन्हा की जयंती पैतृक गांव में आयोजित करने को लेकर डॉ सच्चिदानंद सिन्हा रचना चक्र के बैनर तले एक बैठक की गई. जिसकी अध्यक्षता चक्र के संयोजक भाई सुधाकर श्रीवास्तव और संचालन विनय श्रीवास्तव ने किया. बैठक में डॉ सिन्हा की स्मृतियों की हो रही उपेक्षा, उनके गांव के प्रति प्रशासनिक और राजनीतिक उपेक्षा पूर्ण नीति पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया गया. साथ ही उनके जयंती को वृहद स्तर पर आयोजित करने के लिए विभिन्न प्रकार की कार्ययोजना बनाया गया. इसके लिए पूरे जिले में जयंती का प्रचार प्रसार करने एवं सघन जनसंपर्क अभियान युद्ध स्तर पर चलाने का निर्णय लिया गया.
बैठक को संबोधित करते हुए भाई सुधाकर श्रीवास्तव ने कहां कि धन्य है, यह मुरार की धरती. जिसके लाल ने अपने व्यक्तित्व से पूरे हिंदुस्तान को प्रभावित किया. डा. सिन्हा ने आधुनिक बिहार की नींव रखी और उसके लिए लंबा संघर्ष भी किया. बहुमुखी प्रतिभा के धनी डा. सिन्हा वरिष्ठ पत्रकार, शिक्षाविद रहते हुए और बिहार व हिंदुस्तान के अनेक संवैधानिक पदों को सुशोभित किया है. उन्होंने पटना में सिन्हा लाइब्रेरी की स्थापना आमजन को मानसिक व बौद्धिक रूप से जागरूक करने के उद्देश्य से किया, जो आज सरकार विगत कई वर्षों से सिन्हा लाइब्रेरी में ताला जड़कर उनके सपनों को ध्वस्त करने का काम कर रही है.
उन्होंने लोगों से आह्वान करते हुए कहां कि बिहार निर्माता डा. सिन्हा के साथ आखिर ऐसा अन्याय क्यों हो रहा है ? उन्होंने डॉ सिन्हा जी के साथ ऐसी उपेक्षा पूर्ण नीति के खिलाफ लोगों को आगे आने की आवश्यकता बताया. उन्होंने 10 नवंबर को मुरार में उनकी जयंती पर अधिक से अधिक लोगों को भाग लेने की अपील की. ताकि संविधान सभा के प्रथम अस्थायी अध्यक्ष डा. सच्चिदानंद सिन्हा के विचारों और उनकी स्मृतियों से नई पीढ़ी को अवगत कराया जा सके. बैठक में आशुतोष पांडेय, विनय श्रीवास्तव, संतोष यादव, सूर्य प्रकाश, राकेश गौतम जी, भूपेंद्र कुमार सिन्हा, नंदलाल पंडित, राहुल कुमार मेहता, मुकेश कुमार, आशीष कुमार, राजेश कुमार, रवि सिन्हा, कृष्णा श्रीवास्तव, दीनानाथ सिंह, गुड्डू जी आदि अनेक लोग उपस्थित रहंे.