बक्सर | जिले में नवजात शिशुओं से लेकर पांच साल तक के बच्चों के साथ गर्भवती महिलाओं को टीकाकृत करने के लिए नियमित टीकाकरण अभियान चलाए जाते हैं। इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर सप्ताह में दो दिन शिविर लगाकार लाभुकों को टीका दिया जाता है। इसके अलावा सभी सरकारी पीएचसी पर भी नियमित टीकाकरण की व्यवस्था रहती है। लेकिन, जानकारी के अभाव में लोग समय पर बच्चों या गर्भवती महिलाओं को टीका नहीं दिला पाते हैं। वहीं, लाभुक बच्चे और गर्भवती महिलाओं की सुविधा को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर जिला मुख्यालय में सदर अस्पताल और शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मॉडल टीकाकरण कॉर्नर का संचालन भी किया जा रहा है। जहां पर बच्चों को खेल व मनोरंजन के साथ नियमित टीका लगाया जाता है। मंगलवार को जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राज किशोर सिंह ने पुराना सदर अस्पताल स्थित शहरी सामुदायिक केंद्र में संचालित मॉडल टीकाकरण कॉर्नर का निरीक्षण किया। जिसके बाद उन्होंने मॉडल टीकाकरण कॉर्नर का ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार करने की सलाह दी। ताकि, लोगों को जानकारी हो और वो यहां आकर अपने बच्चों का नियमित टीकाकरण कराएं। इस दौरान सदर बीसीएम प्रिंस कुमार सिंह भी मौजूद रहे।
रोजाना 30 से 35 बच्चे व गर्भवती महिलाओं को दिया जाता है टीका
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राज किशोर सिंह ने बताया कि मॉडल टीकाकरण कॉर्नर पर बच्चों के मनोरंजन की पूरी व्यवस्था है। कॉर्नर की दीवारों पर बच्चों के लिए कार्टून्स और अल्फाबेट्स भी बनाए गए हैं। ताकि, टीकाकरण को आए बच्चे खेल व मनोरंजन के साथ टीका ले सकें। वहीं, उनके खेलने के लिए खिलौने भी रखे गए हैं। जिसके कारण कॉर्नर पर रोजाना 30 से 35 बच्चे व गर्भवती महिलाओं को टीका दिया जाता है। लेकिन, प्रतिदिन के मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी के लिए प्रयास करने होंगे। इसके लिए शहरी इलाके में प्रचार-प्रसार किया जाए। जिससे लोगों का पता चल सके कि यहां पर शहरी सामुयादिक स्वास्थ्य केंद्र पर मॉडल टीकाकरण कॉर्नर का संचालन किया जा रहा है। जहां पर लोगों के लिए यह सेवाएं उपलब्ध हैं।
मॉडल टीकाकरण कॉर्नर पर उपलब्ध है ये जरूरी टीके
जन्म होते ही – ओरल पोलियो, हेपेटाइटिस बी, बीसीजी
डेढ़ महीने बाद – ओरल पोलियो-1, पेंटावेलेंट-1, एफआईपीवी-1, पीसीवी-1, रोटा-1
ढाई महीने बाद – ओरल पोलियो-2, पेंटावेलेंट-2, रोटा-2
साढ़े तीन महीने बाद – ओरल पोलियो-3, पेंटावेलेंट-3, एफआईपीवी-2, रोटा-3, पीसीवी-2
नौ से 12 माह में – मीजल्स-रुबेला 1, जेई 1, पीसीवी-बूस्टर, विटामिन ए
16 से 24 माह में
मीजल्स-रुबेला 2, जेई 2, बूस्टर डीपीटी, पोलियो बूस्टर, जेई 2
बच्चों के लिए ये भी हैं जरूरी
5 से 6 साल में – डीपीटी बूस्टर 2
10 साल में – टेटनेस
15 साल में – टेटनेस
गर्भवती महिला को – टेटनेस 1 या टेटनेस बूस्टर