बेतिया। डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं। बरसात के दौरान खासकर जुलाई से अक्टूबर के बीच इस बीमारी के फैलने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। इस पर काबू पाने के लिए हम सभी को अपने आस-पास स्वच्छता का ख्याल रखना चाहिए। जिला स्वास्थ्य समिति भी डेंगू और चिकनगुनिया रोग की रोकथाम के लिए प्रचार प्रसार पर ध्यान दे रही है। यह बातें सिविल सर्जन डॉ बीरेन्द्र कुमार चौधरी ने बुधवार को डेंगू और चिकनगुनिया पर आयोजित कार्यशाला में उद्घाटन के दौरान संदेश देते हुए कही।
कार्यशाला की अध्यक्षता अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रमेश चंद्रा ने की। उन्होंने कहा कि यह रोग उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ज्यादा पायी जाती है। डॉ चंद्रा ने कहा कि इसके इलाज से ज्यादा रोकथाम पर ध्यान देना जरूरी है। जिसके लिए रात को मच्छरदानी का प्रयोग हर किसी को करना चाहिए वहीं अपने आस पास कहीं भी बरसात का पानी जमा नहीं होने देना चाहिए।
एलिसा टेस्ट ही मान्य
कार्यशाला के दौरान जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ हरेंद्र कुमार ने कहा कि लोग प्राइवेट क्लीनिकों में एनएस 1 टेस्ट किट से जांच करा कर खुद को डेंगू का मरीज मान लेते हैं। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। उस किट में पॉजिटिव आने का मतलब आप संदिग्ध हैं, रोगी नहीं। जब तक उसका एलिसा टेस्ट और भौतिक रूप से मरीज का सत्यापन नहीं होता तब तक वह डेंगू का मरीज नहीं माना जाएगा।
जिले में माइग्रेटेड 4 मरीज
डॉ हरेन्द्र कुमार ने बताया कि जिले में अभी माइग्रेटेड रूप से 4 मरीज हैं। जिनका इलाज जिले के बाहर चल रहा है। सभी इसी महीने में डेंगू के शिकार हुए हैं। नगर निगम के क्षेत्र में नगर पालिका तथा ग्रामीण क्षेत्रों में भीबीडी कार्यालय की ओर से फॉगिंग की व्यवस्था की गयी है। वहीं शहरी क्षेत्रों में जहां मरीज मिलते हैं, उसके 5 सौ मीटर के आस-पास स्वास्थ्य विभाग फॉगिंग कराती है।
लोगों से अपील है कि वे हमेशा अपने घर के आसपास सफाई रखें व किसी भी तरह का पानी जमा नहीं होने दें। इस मौके पर सीडीओ डॉ टी एन प्रसाद, जिले के सभी एमओआईसी एवं अन्य विभाग के पदाधिकारी साहित वीबीडीसीओ,वीबीडीएस मौजूद थे।