बक्सर : जिले के कुपोषित बच्चों को चिह्नित करने के लिए स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में शिविर का संचालन

यह भी पढ़ें

- Advertisement -

बक्सर | जिले में पोषण माह के दौरान सभी प्रखंडों में अभियान चलाकर कुपोषण के खिलाफ लोगों को जागरूक किया जा रहा है।  वहीं, कुपोषित बच्चों को बचाने व उनके इलाज के लिए  शिविर भी लगाए जा रहे हैं। जिसका संचालन प्रखंडों में प्रतिनियुक्त स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत आरबीएसके (राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम) की टीम के आयुष चिकित्सक कर रहे हैं। चिकित्सकों द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र और स्कूलों में शिविर लगाया जा रहा है। जहां एक से छह और छह से 18 साल तक के बच्चों की स्क्रीनिंग की जा रही है। शिविर के दौरान टीम में शामिल एएनएम के द्वारा बच्चों का वजन, उनकी ऊंचाई, सिर की परिधि, बांह की मोटाई की नापतौल की जाती है। फार्मासिस्ट द्वारा रजिस्टर में स्क्रीनिंग किये गये बच्चों से संबंधित सभी जानकारियों को ऑन द स्पॉट क्रमवार अंकित किया जाता है। उसके बाद उन बच्चों को इलाज के लिए सदर अस्पताल में स्थित एनआरसी रेफर कराया जा रहा है। 

आयुष चिकित्सक करते हैं बच्चों की स्क्रीनिंग :
आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ. विकास कुमार ने बताया, स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्यक्रम की सफलता के लिए गठित मोबाइल मेडिकल टीम हर आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूलों में पहुंच रही और टीम में शामिल आयुष चिकित्सक बच्चों की स्क्रीनिंग कर रहे हैं। ऐसे में जब सर्दी-खांसी व बुखार जैसी सामान्य बीमारी होगी, तब तुरंत बच्चों को दवा भी दी जा रही है। लेकिन बीमारी गंभीर होने की स्थिति में उसे आवश्यक जांच एवं समुचित इलाज के लिए संबंधित पीएचसी में भेजा जाता है। उन्होंने बताया कि आरबीएसके कार्यक्रम में शून्य से 18 वर्ष तक के सभी बच्चों की बीमारियों का समुचित इलाज किया जाता है। 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग आंगनबाड़ी केंद्रों में होती है जबकि 6 से 18 साल तक के बच्चों की स्क्रीनिंग उनके स्कूलों में जाकर की जाती। ताकि चिह्नित बीमारियों के समुचित इलाज में देरी न हो। आंगनबाड़ी केंद्रों पर साल में दो बार यानि हर छह महीने पर और स्कूलों में साल में सिर्फ एक बार बच्चों के इलाज के लिए स्क्रीनिंग की जाती है। स्क्रीनिंग करते वक्त बच्चों को हेल्थ कार्ड भी उपलब्ध कराया जाता है।

एनआरसी में बच्चों और माताओं को किया जाता है प्रशिक्षित :
पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) का उद्देश्य गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की व्यापकता एवं मृत्यु दर को कम करना है। आरबीएसके के द्वारा सभी प्रखंडों से कुपोषित बच्चों को भर्ती कराकर उनका इलाज शुरू किया गया। एनआरसी में बच्चों एवं उनके माता को साथ रखकर स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता तथा हाथ धोने की विधि के संबंध में प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। यहां पर कई तरह की चिकित्सीय जटिलता वाले, अति गंभीर कुपोषित बच्चों का उपचार तथा पोषण प्रबंधन किया जाता है। पोषण पुनर्वास केंद्र में हाइपोथर्मिया, दोनों पैरों में गड्ढे पड़ने वाली सूजन, लगातार उल्टी होना, बहुत कमजोर, उदासीन, बुखार आना, सांस तेज चलना/पसली का धंसना/साइनोसिस, त्वचा में विकार, आंखों की समस्या, एनीमिया आदि से ग्रसित बच्चों को भर्ती कराया जाता है। – डॉ. जितेंद्र नाथ, सिविल सर्जन, बक्सर

- Advertisement -

विज्ञापन और पोर्टल को सहयोग करने के लिए इसका उपयोग करें

spot_img
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

spot_img
spot_img
spot_img
spot_img

संबंधित खबरें