बक्सर : कालाजार से ठीक हुए  मरीजों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान दिलाने को सर्वे शुरू 

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बक्सर | कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले के प्रभावित इलाकों में नियमित रूप से सिंथेटिक पाराथायरॉयड (एसपी) का छिड़काव किया जा रहा है। हाल ही, में सदर प्रखंड के पड़री गांव में दवाओं का छिड़काव कार्य संपन्न हुआ है। अब सदर प्रखंड के छोटका नुआंव में बुधवार से आईआरएस शुरू हुआ है। ताकि, लोगों को कालाजार के प्रभाव से बचाया जा सके। वहीं, लोगों को कालाजार के प्रभाव से बचाने के लिए विभाग ने नई पहल शुरू की है। जिसके तहत कालाजार से पूरी तरह से ठीक हो चुके मरीजों के पास अपना पक्का मकान होगा। इसके लिए विभाग ने कालाजार प्रभावित इलाकों में सर्वे का काम शुरू किया है। जिसके तहत आईआरएस के दौरान ही पूर्व के कालाजार मरीजों से संपर्क किया जा रहा है। साथ ही, उनसे यह जानकारी ली जा रही है कि क्या उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान का लाभ मिला है या नहीं। तत्पश्चात उनकी रिपोर्ट विभाग को सौंपी जाएगी । उसके बाद उन मरीजों को आवास दिलाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। पड़री और छोटका नुआंव में हुए सर्वे के अनुसार उक्त दोनों गांवों में किसी भी मरीज को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका है।

पक्के मकान से बालू मक्खियां रहेंगी दूर

जिला वेक्टर बॉर्न जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि कालाजार का मुख्य कारण बालू मक्खी है। जिसके काटने से स्वस्थ्य मरीज कालाजार की चपेट में आ जाते हैं। अमूमन बालू मक्खियां अंधेरे व नमी वाले स्थानों में रहती है। मकानों की दरार, संदूकों के नीचे आदि स्थान उनके छिपने के लिए अनुकुल रहती है। ग्रामीण इलाकों में कच्चे मकानों में दरारों में बालू मक्खियां छिपती हैं। जिसके कारण लोग इनका शिकार हो जाते हैं। इसलिए उनको पक्का मकान दिलाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि छिड़काव दल के सदस्य घरों की जनसंख्या, कमरे, बरामदा, गौशाला व संभावित कालाजार रोगियों का पूरा ब्योरा रजिस्टर में दर्ज करते हैं। इसी पंजी में वे पीएम आवास योजना ग्रामीण के तहत प्राप्त मकानों की संख्या भी दर्ज करेंगे। साथ ही उसके मकान का फोटो भी लेंगे। ताकि, पक्के मकानों की सही जानकारी मिल सके।

बालू मक्खी सामान्यत: नमी भरे वातावरण में पनपती है

जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार राजीव कुमार ने बताया कि कालाजार मादा फाइबोटोमस अर्जेंटिपस(बालू मक्खी) के काटने के कारण होता है, जो कि लीशमैनिया परजीवी का वेक्टर (या ट्रांसमीटर) है। किसी जानवर या मनुष्य को काट कर हटने के बाद भी अगर वह उस जानवर या मानव के खून से युक्त है तो अगला व्यक्ति जिसे वह काटेगा वह संक्रमित हो जायेगा। इस प्रारंभिक संक्रमण के बाद के महीनों में यह बीमारी और अधिक गंभीर रूप ले सकती है, जिसे आंत में लिशमानियासिस या कालाजार कहा जाता है। बालू मक्खी सामान्यत: नमी भरे वातावरण में पनपती है। यह कच्चे मकान, घर में स्थित गौशाला, घर के अंधेरे नमी युक्त वाले जगहों के साथ मिट्टी की दीवारों के बीच पड़ी दरारों में पनपती है।

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