शिवहर। जिले में कालाजार बीमारी के उन्मूलन के लिए पांच प्रखंडों में आइआरएस का छिड़काव कार्य जारी है। जिले में दूसरे चक्र के सिंथेटिक पैराथायराइड का छिड़काव कार्य 60 दिनों तक चलेगा। इस दौरान छिड़काव कर्मी लक्षण वाले कालाजार मरीजों की भी खोज करेंगे। साथ ही कालाजार से बचाव के लिए जागरूक भी करेंगे। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सुरेश राम ने बताया कि कालाजार से बचाव के लिए एसपी पाउडर का छिड़काव पांच प्रखंड के 24 गांव में किया जा रहा है। इसके तहत 24 गांव के 34 हजार 617 घरों के 97 हजार 633 कमरों में छिड़काव किया जाएगा। इस दौरान प्रशिक्षित 11 छिड़काव दल 1 लाख 72 हजार 360 की पॉपुलेशन को कवर करेंगे।
छह फीट तक सभी घरों के कमरों में छिड़काव
डॉ. सुरेश राम ने बताया कि एनवीबीडीसीपी भारत सरकार द्वारा इस चक्र के छिड़काव के मापदंड में बदलाव किया गया है। इसके तहत छह फीट तक सभी घरों के कमरे, गौशाला, रसोई घर की पूरी दीवार पर दवा का छिड़काव किया जा रहा है। छत अथवा सीलिंग में छिड़काव नहीं किया जा रहा। उन्होंने बताया कि छिड़काव के लिए माइक्रो प्लान तैयार किया गया है। छिड़काव कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। गुणवत्तापूर्ण छिड़काव की दृष्टि से अभियान का पर्यवेक्षण किया जा रहा है।
तीन तरह का होता है कालाजार
डॉ सुरेश राम ने कहा कि कालाजार तीन तरह के होते हैं। जो वीएल कालाजार, वीएल प्लस एचआईवी और पीकेडीएल हैं। कालाजार रोग लिशमेनिया डोनी नामक रोगाणु के कारण होता है। जो बालू मक्खी के काटने से फैलता है। साथ ही यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी प्रवेश कर जाता है। दो सप्ताह से अधिक बुखार व अन्य विपरीत लक्षण शरीर में महसूस होने पर अविलंब जांच कराना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कालाजार को समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ ग्रामीणों की सहभागिता भी आवश्यक है। इसलिए सभी लोग छिड़काव कर्मियों का सहयोग करें एवं घर के प्रत्येक कमरे में कालाजार से बचाव हेतु छिड़काव कराएं।